टाटा ने एयर इंडिया को खरीदा (फाइल फोटो)
करीब 70 साल बाद सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया (Air India) का कंट्रोल फिर से टाटा समूह के हाथ में आ गया है. टाटा संस (Tata) ने कर्ज में डूबी एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है. रतन टाटा (Ratan Tata) ने टाटा संस की 18,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार करने के सरकार के निर्णय का स्वागत किया. हालांकि, कर्ज के तले दबी एयर इंडिया को फिर से पटरी पर लाने के लिए काफी कोशिश की जरूरत होगी. एयर इंडिया के लिए बोली का आरक्षित मूल्य 12,906 करोड़ रुपये रखा के आरक्षित मूल्य से अधिक है.
टाटा संस ने स्पाइसजेट के मुखिया अजय सिंह के नेृतत्व कंसोर्टियम को पछाड़ कर एयर इंडिया को पाने में कामयाबी हासिल की है. एयर इंडिया पर 60 हजार करोड़ का कर्ज है और सरकार को इससे रोजाना करीब 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
भारत सरकार ने टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ रुपए में एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी ले ली है. इसके साथ ही एयर इंडिया के दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में भी 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है.
टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है. सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा से 2,700 करोड़ रुपये नकद मिलेंगे. सौदे के तहत, सरकार 46,262 करोड़ के कर्ज को अपने ऊपर लेगी और 14,718 करोड़ रुपये की भूमि और भवन सहित गैर-प्रमुख संपत्तियों को भी अपने पास रखेगी. यह सब सरकार की होल्डिंग कंपनी AIAHL को ट्रांसफर किया जाएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले साल में कोई छंटनी नहीं होगी और एयर इंडिया के कर्मचारियों को दूसरे साल में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना या वीआरएस की सुविधा दी जाएगा. सभी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और भविष्य निधि लाभ दिया जाएगा.
पांच साल बाद टाटा संस ब्रांड को केवल एक भारतीय व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है ताकि ब्रांड - एयर इंडिया - हमेशा के लिए भारतीय बना रहे.