दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
400 करोड़ के टैंकर घोटाले की जांच की आंच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक पहुंचती दिख रही है। घोटाले की जांच कर रहे दिल्ली एसीबी के चीफ मुकेश मीणा ने कहा है कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद जांच में देरी की वजहों की भी पड़ताल की जाएगी। मीणा का कहना है कि जिस-जिसके पास रिपोर्ट गई और लंबे समय तक रखी रही, उनसे पूछताछ होगी। उन्होंने कहा है कि अगर फाइल सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने पास रोकी, तो हम रिकॉर्ड चेक करेंगे, वहीं जिस-जिसके पास फ़ाइल का रिकॉर्ड मिलेगा सबसे पूछताछ होगी।
बीजेपी ने कार्यवाही क्यों नहीं की..
दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा का कहना है कि 'हमारी ही सरकार ने जांच की और अब बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता कह रहे हैं कि हमने एक साल में कोई कार्रवाई नहीं की है, अरे बीजेपी की मोदी सरकार को दो साल हो गए हैं, उन्होंने कौन-सा कांग्रेस पर कार्रवाई कर ली है।'
इससे पहले इस घोटाले में आरोपी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साफि किया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। दीक्षित ने कहा कि 'टैंकर ख़रीदने में हर नियमों का पालन किया गया था और आज भी वे टैंकर इस्तेमाल में हैं। यह दिल्ली के लोगों की सेवा है, घोटाला नहीं।' गौरतलब है कि गुरुवार को ही उपराज्यपाल नजीब जंग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को 400 करोड़ के टैंकर घोटाले की जांच करने का आदेश दिए थे। इस घोटाले में शीला दीक्षित आरोपी हैं क्योंकि जिस समय पानी सप्लाई के लिए यह टैंकर किराए पर लिए गए थे, उस समय शीला दीक्षित सीएम के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष भी थीं।
क्या था मामला
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था। टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर लेना था और उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी। स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे। इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी। 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई। दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए।
बीजेपी ने कार्यवाही क्यों नहीं की..
दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा का कहना है कि 'हमारी ही सरकार ने जांच की और अब बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता कह रहे हैं कि हमने एक साल में कोई कार्रवाई नहीं की है, अरे बीजेपी की मोदी सरकार को दो साल हो गए हैं, उन्होंने कौन-सा कांग्रेस पर कार्रवाई कर ली है।'
इससे पहले इस घोटाले में आरोपी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साफि किया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। दीक्षित ने कहा कि 'टैंकर ख़रीदने में हर नियमों का पालन किया गया था और आज भी वे टैंकर इस्तेमाल में हैं। यह दिल्ली के लोगों की सेवा है, घोटाला नहीं।' गौरतलब है कि गुरुवार को ही उपराज्यपाल नजीब जंग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को 400 करोड़ के टैंकर घोटाले की जांच करने का आदेश दिए थे। इस घोटाले में शीला दीक्षित आरोपी हैं क्योंकि जिस समय पानी सप्लाई के लिए यह टैंकर किराए पर लिए गए थे, उस समय शीला दीक्षित सीएम के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष भी थीं।
क्या था मामला
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था। टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर लेना था और उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी। स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे। इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी। 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई। दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए।
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