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कौन सी गलती हर बार ले जाती है दर्जनों जानें? पढ़ें हाल के दिनों में हुई भारत की सबसे खतरनाक भगदड़

पिछले तीन वर्षों में भारत में 10 बड़ी भगदड़ घटनाओं में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है, जिनमें धार्मिक आयोजनों से लेकर राजनीतिक रैलियां तक शामिल हैं.

कौन सी गलती हर बार ले जाती है दर्जनों जानें? पढ़ें हाल के दिनों में हुई भारत की सबसे खतरनाक भगदड़
  • भारत में धार्मिक, राजनीतिक और त्योहारों के दौरान बड़ी भीड़ नियंत्रण की कमी से जानलेवा भगदड़ की घटनाएं होती हैं
  • करूर की विजय रैली में भारी भीड़ के कारण 39 लोगों की मौत और दर्जनों घायल होने की पुष्टि हुई है
  • हरिद्वार के मानसा देवी मंदिर में बिजली की तार गिरने की अफवाह से भगदड़ मची, जिसमें छह लोग मारे गए थे
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नई दिल्ली:

भारत में भीड़ नियंत्रण हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है. धार्मिक आयोजनों, राजनीतिक रैलियों और बड़े त्योहारों में लाखों लोग उमड़ते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं की कमी और अचानक घबराहट अक्सर जानलेवा साबित होती है. हाल के वर्षों में कई दर्दनाक घटनाएं हुईं, जहां भगदड़ ने सैकड़ों लोगों की जिंदगी छीन ली. भीड़ के दबाव, संकरे रास्ते, अफवाह और सुरक्षा इंतज़ामों की नाकामी ने मिलकर ऐसी त्रासदियों को जन्म दिया. हाथरस के सत्संग से लेकर हरिद्वार के मंदिर और हाल ही में करूर की विजय रैली हर जगह एक ही पैटर्न सामने आया.

बड़ी संख्या में लोग, सीमित जगह और कमजोर प्रबंधन. इन घटनाओं ने न सिर्फ परिवारों को तबाह किया, बल्कि सिस्टम की लापरवाही को भी उजागर किया. विशेषज्ञ लगातार चेताते रहे हैं कि आधुनिक भीड़-प्रबंधन तकनीक, इमरजेंसी एग्जिट, मेडिकल टीम और डिजिटल मॉनिटरिंग के बिना ऐसे आयोजन बेहद खतरनाक हैं. इसके बावजूद हादसों का सिलसिला थम नहीं रहा. नीचे हम भारत में हाल के दिनों में हुई 10 बड़ी भगदड़ घटनाओं की टाइमलाइन दे रहे हैं. 

27 सितंबर 2025- करूर, तमिलनाडु (विजय की रैली) :  तमिल अभिनेता- नेता विजय की चुनावी रैली में भारी भीड़ ने बस और मंच की तरफ दौड़ लगाई. अचानक धक्का-मुक्की से भगदड़ मच गई. कम-से-कम 39 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए. मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है. 

27 जुलाई 2025 - हरिद्वार, उत्तराखंड (मानसा देवी मंदिर) : श्रावण मेले में पहाड़ी रास्ते पर बिजली की तार गिरने की खबर से श्रद्धालु घबरा गए. लोग भागने लगे और सीढ़ियों पर गिरते चले गए. कम-से-कम 6 लोगों की मौत हुई, कई घायल हो गए. घटना ने सुरक्षा इंतज़ामों की पोल खोल दी. 

29 जून 2025 - ओडिशा (जगन्नाथ रथ यात्रा):  गुंडीचा मंदिर के पास रथ खींचते समय भक्तों की भीड़ अचानक उमड़ पड़ी.  लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भगदड़ मच गई. कम-से-कम 3 की मौत और कई घायल हुए. प्रशासन पर पर्याप्त इंतज़ाम न करने का आरोप लगा. 

3 मई 2025- गोवा (लैऱाई देवी जत्रा)- हजारों भक्त देवी जत्रा में पहुंचे थे. संकरे रास्ते पर अचानक धक्का-मुक्की हुई और भगदड़ मच गई. कम-से-कम 6 लोगों की मौत और 70 से ज्यादा घायल हुए. स्थानीय प्रशासन ने बाद में जांच समिति बनाई.

15 फ़रवरी 2025 - नई दिल्ली रेलवे स्टेशन: महाकुंभ से लौट रहे यात्रियों की भीड़ रेलवे स्टेशन पर उमड़ी. फुटओवर ब्रिज की सीढ़ियों पर लोग फिसलते और गिरते गए. इस भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए. रेलवे ने घटना के बाद भीड़ नियंत्रण बढ़ाने की बात कही.

9 जनवरी 2025- तिरुपति, आंध्र प्रदेश (वेंकटेश्वर मंदिर) विशेष दर्शन के टोकन लेने के लिए लगी भीड़ में अचानक अफरा-तफरी मच गई. बैरिकेड पर चढ़ते ही लोग गिरने लगे. कम-से-कम 6 की मौत हुई और 30 से ज्यादा घायल हो गए। सवाल उठे कि भीड़ प्रबंधन क्यों नहीं हुआ.

5 अगस्त 2025- सीहोर, मध्य प्रदेश (कुबेरश्वर धाम) धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया. भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हो गई और कई घायल हुए. प्रशासन ने इसे “स्टांपेड-जैसी स्थिति” बताया और सुरक्षा बढ़ाने का दावा किया.

2 जुलाई 2024 - हाथरस, उत्तर प्रदेश (सत्संग सभा): प्रवचन खत्म होने के बाद निकास के समय लोग एक ही तरफ से बाहर निकलने लगे. फिसलन और गर्मी से हालात बिगड़े और भगदड़ मच गई.इस घटना में 121 लोगों की मौत हुई और 150 से ज्यादा घायल हुए. यह हाल की सबसे बड़ी त्रासदी मानी गई.

1 जनवरी 2022 - वैष्णो देवी, जम्मू-कश्मीर: नववर्ष पर दर्शन करने पहुंचे हजारों भक्तों में अचानक कहासुनी और धक्का-मुक्की हुई. भीड़ के दबाव से 12 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 15 घायल हो गए. 
 

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