
चैतन्यानंद सरस्वती अब पुलिस की गिरफ्त में आ गया है. पुलिस अब इस डर्टी बाबा का पूरा कच्चा चिट्ठा निकाल रही है. बता दें कि साल 1998 में दिल्ली के उपराजयपाल ने वसंत कुंज में शारदा पीठ को एक प्लॉट आंवटित किया था. बाबा को कुछ सीमित कामों के लिए मठ का अटॉर्नी बनाया गया था और इसी के आधार पर पूरा फर्जीवाड़ा किया गया. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मठ में 40 करोड़ रुपये का घपला किया. चैतन्यानंद के पास 2 पासपोर्ट हैं, जो फर्जी दस्तावेजों से बनाए गए हैं. दिल्ली के एक निजी संस्थान में 17 छात्राओं का यौन शोषण करने का आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती को उत्तर प्रदेश के आगरा से पकड़ा गया है.
प्रधानमंत्री ऑफिस के नाम का फर्जी इस्तेमाल करता था बाबा
डीसीपी दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली अमित गोयल ने बताया कि बाबा के पास 3 फोन, एक आईपेड और 2 विजिटिंग कार्ड मिले हैं. बाबा फरारी के दौरान वृंदावन, आगरा, मथुरा के आसपास ही रहा. इस दौरान उन्होंने 15 से ज्यादा होटल बदले. बाबा रुतबा दिखाने के लिए प्रधानमंत्री दफ्तर के नाम का फर्जी इस्तेमाल करता था. अपने लोगों से लोगों को फोन करवाता था कि स्वामी जी प्रधानमंत्री दफ्तर जुड़े हैं.
चैतन्यानंद के पास जो विजिटिंग कार्ड मिले हैं, उनमें एक विजिटिंग कार्ड यूनाइटेड नेशन का है, जिसमें उसने अपने को परमानेंट अम्बेसडर बताया है. वहीं, दूसरा विजिटंग कार्ड BRICS का है, जिसमें चैतन्यनंद खुद कमीशन का मेम्बर ओर इंडियन स्पेशल एनवोय (राजदूत) बताया है.

चैतन्यानंद बाबा के फर्जीवाड़े का कच्चा चिट्ठा
- साल 1998 में दिल्ली के उपराजयपाल ने वसंत कुंज में शारदा पीठ को यह प्लॉट आंवटित किया था, जिस पर ये मठ है.
- बाबा को कुछ सीमित कामों के लिए मठ का अटार्नी बनाया गया था.
- 2008 में बाबा ने बिना इजाजत के कुछ लोगों के साथ मिलकर इंस्टीट्यूट का नाम बदल दिया.
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मठ में 40 करोड़ रुपये का घपला किया गया और बिना परमिशन से मठ की प्रॉपर्टी को किराए पर दे दिया गया.
- चैतन्यानंद के पास दो पासपोर्ट हैं. पहला पासपोर्ट स्वामी पार्थ सारथी के नाम से और दूसरा पासपोर्ट स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के नाम से है.
चैतन्यानंद के पासपोर्ट भी फर्जी!
चैतन्यानंद सरस्वती के पास दो पासपोर्ट में और ये दोनों पासपोर्ट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल किए गए. पहले पासपोर्ट में बाबा ने अपने पिता का नाम स्वामी घनानंद पुरी और मां का नाम शारदा अंबा लिखाया था. वहीं दूसरे पासपोर्ट में उसने अपने पिता का नाम स्वामी दयानंद सरस्वती और मां का नाम शारदा अम्बल लिखाया था. पहले पासपोर्ट में जन्म स्थान दार्जिलिंग लिखाया गया, जबकि दूसरे पासपोर्ट में जन्म स्थान तमिलनाडु लिखाया था. जांच में यह भी बात सामने आई कि आरोपी के पैन कार्ड में पिता का नाम स्वामी घनानंद पुरी लिखवाया था. आरोपी के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में दो अकाउंट थे और दोनों अलग-अलग नामों से थे.
दिल्ली के एक निजी संस्थान में 17 छात्राओं का यौन शोषण करने का आरोपी स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती उत्तर प्रदेश के आगरा से पकड़ा गया. दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की एक टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर सरस्वती (62) को आगरा में ढूंढ़ निकाला. इससे पहले, पुलिस ने सरस्वती से जुड़े कई बैंक खातों में जमा आठ करोड़ रुपये के लेनदेन पर रोक लगा दी थी. स्वयंभू धर्मगुरु के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, वह छात्राओं को देर रात उसके कमरे में आने के लिए मजबूर करता था और उन्हें आपत्तिजनक संदेश भेजता था. उस पर अपने फोन के जरिए छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखने का भी आरोप है.
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