भारतीय जांच एसेंजी एनआईए मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana Extradition) को गुरुवार को अमेरिका से भारत वापस ले आई. अमेरिका ने उसे भारत को प्रत्यर्पित किया है. अमेरिका ने कुछ तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें अमेरिकी अधिकारी तहव्वुर को विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपते दिखाई दे रहे है. जिसमें आतंकी राणा अमेरिकी मार्शलों और एनआईए अधिकारियों से घिरा हुआ दिखाई दे रहा है. US डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने इन तस्वीरों को जारी किया है.
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यूस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का बयान जारी कर कहा कि अमेरिका ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के कथित साजिशकर्ता ताहव्वुर हुसैन राणा को बुधवार को भारत को सौंप दिया. 64 साल के राणा को अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपा.
अमेरिका में तहव्वुर को NIA को सौंपे जाने की पहली तस्वीर

अमेरिका ने तहव्वुर को भारत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी कथित भूमिका से जुड़े 10 आपराधिक आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित किया है. उसका प्रत्यर्पण इन हमलों में मारे गए छह अमेरिकियों और कई अन्य पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की दिशा में एक अहम कदम है. तहव्वुर राणा पर भारत में कई आपराधिक आरोप हैं, जिनमें षडयंत्र, हत्या, आतंकी कृत्य और जालसाजी शामिल हैं.
तहव्वुर को NIA को सौंपे जाने की दूसरी तस्वीर

तहव्वुर पर ये आरोप पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की तरफ से 2008 में किए गए मुंबई आतंकी हमलों में उनकी कथित भूमिका को लेकर हैं. 26 और 29 नवंबर, 2008 के बीच, 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसपैठ कर बम धमाके किए और ताज होटल, रेलवे स्टेशन और यहूदी सामुदायिक केंद्र समेत कई जगहों पर गोलीबारी भी की थी. इन हमलों में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. मुंबई हमला भारत के इतिहास में सबसे भयानक और विनाशकारी हमलों में से एक था.
अमेरिका में तहव्वुर को NIA को सौंपे जाने की तीसरी तस्वीर

भारत का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली की मदद हमले की योजना बनाने और जगहों की रेकी करने में की थी. राणा ने मुंबई में अपने इमिग्रेशन बिजनेस की फर्जी शाखा खोली और हेडली को उसका मैनेजर नियुक्त किया. दो बार फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए वीज़ा आवेदन दायर कराए गए. जांच के मुताबिक, राणा ने हमलों के बाद हेडली से कहा था कि भारतीयों का यही हाल होना चाहिए था. उसने मारे गए आतंकवादियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "निशान-ए-हैदर" दिए जाने की मांग की थी.
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