
- राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दीपावली को भारत के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की प्रतीक रोशनी बताया है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'वोकल फॉर लोकल' संदेश 140 करोड़ भारतीयों का सामूहिक संकल्प बन चुका है.
- त्योहारों के दौरान स्वदेशी उत्पादों की खरीद को देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में निवेश माना गया है.
राज्यवर्धन सिंह राठौड़. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया था और जिस स्वदेशी की बात की थी, अब शायद वह सच होने लगा है. कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिवाली के मौके पर पीएम मोदी की इस पहल को सराहा है. कर्नल राठौड़ के अनुसार दीपावली केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रोशनी है.
गर्व से कहो हम स्वदेशी हैं
कर्नल राठौड़ ने एक आर्टिकल लिखा है जिसका टाइटल है, 'दीपावली: स्वदेशी का उत्सव, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प'. इसमें उन्होंने लिखा है , 'गर्व से कहो ये स्वदेशी है. माननीय प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी, दीपावली केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रोशनी है. हर घर की जगमगाहट हमें यह याद दिलाती है कि जब हम अपनी मिट्टी, अपने लोगों और अपने उत्पादों पर भरोसा करते हैं, तभी भारत सच्चे अर्थों में विकास और वैभव की दिशा में आगे बढ़ता है.'
उन्होंने आगे लिखा है, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का 'वोकल फॉर लोकल' संदेश अब एक जनआंदोलन बन चुका है. यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सामूहिक संकल्प है—अपने स्थानीय उत्पादों, शिल्प और सेवाओं को वैश्विक पहचान दिलाने का.'
त्योहार: उपभोग नहीं, सहयोग का अवसर
उन्होंने लिखा, 'त्योहारों का मौसम केवल खरीदारी का नहीं, बल्कि अपने लोगों के प्रति सहयोग और संवेदना का समय है. जब हम अपने गांवों, कस्बों और छोटे व्यवसायों से सामान खरीदते हैं, तब हम करोड़ों परिवारों के सपनों को रौशनी देते हैं. हर स्वदेशी खरीद सिर्फ एक आर्थिक निर्णय नहीं बल्कि देश के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता में एक निवेश है.'
आर्थिक शक्ति से आत्मनिर्भरता तक
कर्नल राठौड़ के मुताबिक 'आज जब सीमाओं के पार से भारत की एकता और आत्मविश्वास पर सवाल उठाए जाते हैं तब यह और भी आवश्यक हो जाता है कि हम भीतर से मजबूत बनें. हर स्वदेशी खरीद देश की अर्थव्यवस्था को बल देती है और 'आत्मनिर्भर भारत' के किले को मजबूत करती है. देश का पैसा देश में, देश का पानी देश में — यही आत्मनिर्भर भारत का सच्चा अर्थ है.'
स्वदेशी अब तकनीक में भी
उन्होंने लिखा, 'स्वदेशी का अर्थ अब केवल हस्तशिल्प या घरेलू वस्तुओं तक सीमित नहीं है. डिजिटल युग में भारत अपने सॉफ़्टवेयर, तकनीक और नवाचार के माध्यम से भी आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहा है. सरकार के प्रमुख डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर भारतीय तकनीक और बौद्धिक संपदा (IP) को प्राथमिकता दी जा रही है. यह प्रधानमंत्री मोदी जी के Digital India और Make in India विज़न का सशक्त विस्तार है.'
गांवों में आत्मनिर्भर भारत की जड़ें
राज्यवर्धन राठौड़ ने राजस्थान की ग्राम पंचायत बबेरवालों की ढाणी की महिलाओं का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा, 'राजस्थान के ग्राम पंचायत बबेरवालों की ढाणी की प्रेरणादायी महिलाएं इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. सीमित संसाधनों के बावजूद वे अपने दम पर नमकीन और बाजरे के बिस्किट बनाकर सफल व्यवसाय चला रही हैं. उनकी मेहनत ने साबित किया है कि प्रधानमंत्री जी का 'आत्मनिर्भर भारत' अब गांवों की मिट्टी में गहराई तक जड़ें जमा चुका है. इन महिला समूहों को अब ONDC प्लेटफॉर्म से जोड़ने की पहल की जा रही है ताकि उनके उत्पाद राष्ट्रीय बाजार तक पहुँच सकें, यही वह क्षण है जब Digital India सचमुच Gramin Bharat से जुड़ता है.'
स्थानीय व्यापार से राष्ट्रीय विकास तक
उन्होंने बताया कि कैसे देशभर में झोटवाड़ा व्यापार मंडल जैसे स्थानीय संगठनों को आधुनिक तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से जोड़ा जा रहा है. इससे छोटे व्यापारियों को नए ग्राहक, नए बाजार और नई पहचान मिल रही है. यह केवल कारोबार बढ़ाने का प्रयास नहीं, बल्कि हर छोटे उद्यमी को 'आत्मनिर्भर भारत' की कहानी का हिस्सा बनाने का अभियान है. इसके साथ ही वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि स्वदेशी ही शक्ति है. ऐसे में इस दीपावली पर संकल्प साफ है, 'उत्पाद में स्वदेशी, तकनीक में स्वदेशी और विचार में भी स्वदेशी. जब हर भारतीय यह सोच अपनाएगा, तब भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि विश्व का मार्गदर्शक भी होगा.
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