
14 जून 2020 को बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. एक प्रतिभाशाली कलाकार की अचानक दुनिया से जाने ने जहां प्रशंसकों को शोक में डुबो दिया, वहीं इस घटना ने एक ऐसी कहानी को जन्म दिया जो सच से ज्यादा सनसनी पर टिकी रही. इस कहानी की कथित खलनायिका बनाई गईं रिया चक्रवर्ती. एक महिला, जिसे न सिर्फ सोशल मीडिया पर कोसा गया, बल्कि टीवी चैनलों ने भी उसे पहले ही दोषी करार दे दिया.
चार साल बाद, 22 मार्च 2025 को सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर रिया और उनके परिवार को क्लीन चिट दे दी. लेकिन सवाल यह है कि क्या वे चार साल पहले शुरू हुई उस मीडिया ट्रायल की सजा से मुक्त हो पाएंगी, जिसमें सच की तलाश कम और सुर्खियां बटोरने की होड़ ज्यादा थी?
वो दोषी नहीं, आरोपी थी
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मामला शुरू में मुंबई पुलिस के पास था. लेकिन सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा बिहार में दर्ज FIR और उसके बाद सीबीआई को जांच सौंपे जाने ने इसे हाई-प्रोफाइल बना दिया. रिया चक्रवर्ती, जो सुशांत की गर्लफ्रेंड थीं, पर आत्महत्या के लिए उकसाने, ड्रग्स की खरीद-फरोख्त और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगे. अगस्त 2020 में सीबीआई ने जांच शुरू की, और इसके समानांतर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने ड्रग्स एंगल की पड़ताल शुरू की. सितंबर 2020 में रिया को ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया और उन्हें 27 दिन मुंबई की भायखला जेल में बिताने पड़े. अक्टूबर 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी, लेकिन तब तक उनकी जिंदगी को मीडिया ने तार-तार कर दिया था.

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने रिया और उनके परिवार के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर को खारिज कर दिया, जिसे सीबीआई ने चुनौती दी थी. मार्च 2025 में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि सुशांत की मौत में रिया या उनके परिवार का कोई हाथ नहीं था. एम्स की फॉरेंसिक टीम ने भी हत्या या फाउल प्ले की थ्योरी को खारिज किया था, और सोशल मीडिया चैट्स की जांच में भी कोई छेड़छाड़ नहीं पाई गई.
टीवी ट्रायल: जब मीडिया ने रिया को पहले ही सजा सुना दी
सुशांत की मौत के बाद का माहौल कुछ ऐसा था कि पूरा देश टेलीविजन स्क्रीन से चिपक गया. महामारी के दौर में जब लोग घरों में कैद थे, टीवी चैनलों ने इस केस को एक सुनहरा मौका माना. रिया चक्रवर्ती को आरोपी के बदले अपराधी की तरह पेश किया गया, जिसने कथित तौर पर सुशांत को बर्बाद कर दिया. चैनलों पर घंटों बहस चलीं, जहां एंकर चीख-चीखकर रिया को कई तरह विशेषणों से नवाजते रहे. उनके निजी जीवन की परतें उधेड़ी गईं, ड्रग्स की कहानियां गढ़ी गईं और उनकी हर तस्वीर को सनसनी का मसाला बनाया गया.

रिया के वकील सतीश मानशिंदे ने हाल ही में कहा, "सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने झूठी कहानियां गढ़ीं, जो पूरी तरह गलत थीं. रिया को बिना गलती के 27 दिन जेल में रहना पड़ा और अनगिनत दुखों से गुजरना पड़ा." लेकिन क्या यह सिर्फ रिया की कहानी थी? नहीं, यह उस मीडिया की कहानी थी, जिसने तथ्यों की जांच से पहले फैसला सुना दिया.
एक महिला, एक केस और हज़ारों सुर्खियां
रिया चक्रवर्ती इस पूरे प्रकरण में अकेली पड़ गई थीं. एक युवा अभिनेत्री, जिसका करियर अभी परवान चढ़ रहा था, वह रातोंरात देश की सबसे "नफरत की पात्र" बन गई. उनकी गिरफ्तारी के दौरान कैमरे उनके घर के बाहर डेरा डाले रहे. सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अभियान चला, जिसमें लाखों फर्जी अकाउंट्स से उन्हें गालियां दी गईं.
यहां तक कि बॉलीवुड की कई हस्तियों ने रिया के पक्ष में आवाज उठाई थी. रिया की मां संध्या चक्रवर्ती ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमारे परिवार में डर का माहौल था." यह डर सिर्फ जांच एजेंसियों का नहीं, बल्कि उस मीडिया का था, जो हर दिन नई कहानी गढ़ रहा था."

रिया केस की अनसुनी कहानी
रिया की कहानी सिर्फ एक आरोपी की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है, जिसे समाज और मीडिया ने समय से पहले दोषी ठहरा दिया. सीबीआई की जांच में यह साफ हो गया कि सुशांत की मौत आत्महत्या थी और इसमें किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया. लेकिन इस नतीजे तक पहुंचने में चार साल लगे, जबकि मीडिया ने चार दिन में ही अपना फैसला सुना दिया था. रिया ने खुद 2020 में गृहमंत्री अमित शाह से निष्पक्ष जांच की मांग की थी, लेकिन उनकी आवाज उस शोर में दब गई, जो टीवी स्टूडियो से उठ रहा था.
क्या मीडिया ने TRP के लिए सच का गला घोंटा
इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका बेहद दुखद रही. पत्रकारिता के मूल सिद्धांत. तथ्यों की जांच और निष्पक्षता को ताक पर रख दिया गया. सुशांत की मौत को एक "मर्डर मिस्ट्री" बनाकर पेश किया गया, जिसमें रिया को विलेन बनाना जरूरी था. चैनलों ने न सिर्फ रिया को बदनाम किया, बल्कि मुंबई पुलिस को भी निशाना बनाया, यह दावा करते हुए कि वह जांच को दबा रही थी.
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