नई दिल्ली: बिलकीस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार 8 जनवरी को फैसला सुनाएगा. जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. 12 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अब 11 दिनों तक चली सुनवाई के बाद देश की सर्वोच्च अदालत यह तय करेगा कि बिलकीस के गुनाहगार वापस जेल जाएंगे या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई संबंधी सारे मूल दस्तावेज ट्रांसलेशन के साथ दाखिल करने कहा है. बिलकीस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनकी 3 साल की बेटी सहित उनके 7 रिश्तेदारों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी गई थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर कई बड़े सवाल खड़े किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि दोषियों को मौत की सजा के बाद वाली सजा यानी उम्रकैद मिली. ऐसे में वो 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हुए? 14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत बाकी कैदियों को क्यों नहीं? इस मामले में सेलेक्टिवली इन दोषियों को पॉलिसी का लाभ क्यों दिया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि जेलें कैदियों से भरी पड़ी हैं तो उन्हें सुधार का मौका क्यों नहीं? बिलकीस के दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी? एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा दीजिए. जब गोधरा की अदालत ने ट्रायल नहीं किया तो उससे राय क्यों मांगी गई? इस मामले में पीड़िता बिलकीस याकूब रसूल यानी बिलकीस बानो के अलावा सुभाषिनी अली, महुआ मोइत्रा, मीरान चड्ढा बोरवणकर, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन और आसमां शफीक शेख ने अर्जियां दाखिल कर रखी हैं.
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