जज लोया की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सीबीआई जज लोया की मौत के मामले में स्वतंत्र की जाए या नहीं इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा. गौरतलब है कि जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच को लेकर दाखिल याचिका पर महाराष्ट्र सरकार मे जांच का पुरजोर विरोध किया था. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को जजों को सरंक्षण देना चाहिए. ये कोई आम पर्यावरण का मामला नहीं है जिसकी जांच के आदेश या नोटिस जारी किया गया हो. ये हत्या का मामला है और क्या इस मामले में चार जजों से संदिग्ध की तरह पूछताछ की जाएगी. ऐसे में वो लोग क्या सोचेंगे जिनके मामलों का फैसला इन जजों को करना है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को निचली अदालतों के जजों को सरंक्षण देना चाहिए.
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वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये याचिका न्यायपालिका को सकेंडलाइज करने के लिए की गई है. ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. सिर्फ इसलिए कि सत्तारूढ पार्टी के अध्यक्ष हैं, आरोप लगाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि जज लोया की मौत 30 नवंबर 2014 को हुई और तीन साल तक किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाए.ये सारे सवाल कारवां की नवंबर 2017 की खबर के बाद उठाए गए जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसके तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं की 29 नवंबर से ही लोया के साथ मौजूद चार जजों ने अपने बयान दिए हैं और वो उनकी मौत के वक्त भी साथ थे.
VIDEO: जज लोया मामले में खुलासा.
वहीं कांग्रेसी नेता तहसीन पुनावाला, पत्रकार बीएस लोन, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये याचिका न्यायपालिका को सकेंडलाइज करने के लिए की गई है. ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. सिर्फ इसलिए कि सत्तारूढ पार्टी के अध्यक्ष हैं, आरोप लगाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि जज लोया की मौत 30 नवंबर 2014 को हुई और तीन साल तक किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाए.ये सारे सवाल कारवां की नवंबर 2017 की खबर के बाद उठाए गए जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसके तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं की 29 नवंबर से ही लोया के साथ मौजूद चार जजों ने अपने बयान दिए हैं और वो उनकी मौत के वक्त भी साथ थे.
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वहीं कांग्रेसी नेता तहसीन पुनावाला, पत्रकार बीएस लोन, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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