कोरोना मुआवजे के फर्जी दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने SC को बताया गया था कि कई राज्यों को COVID मौतों का सामना करने वाले परिवारों को दी जा रही अनुग्रह वित्तीय सहायता के लिए फर्जी दावे मिल रहे हैं. जिस पर कोर्ट का कहना है कि कोरोना की मौत के लिए अनुग्रह मुआवजा पाने के लिए कई लोग फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बना रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं फर्जी दावों को लेकर केंद्र को मंगलवार तक हलफनामा दाखिल करने को कहा. जिसके बाद 21 मार्च को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि कथित फर्जी मौत के दावों की जांच CAG को सौंपी जा सकती है. केंद्र की ओर से पेश तुषार मेहता ने आज सुझाव दिया कि मुआवजे के दावे दाखिल करने पर एक बाहरी सीमा रखी जानी चाहिए. लोगों को मृत्यु होने के 4 सप्ताह के भीतर दावा दायर करने की आवश्यकता है. मुआवजे का दावा करने की प्रक्रिया अंतहीन नहीं होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान जस्टिस एम आर शाह ने इस पर दुख जताया.
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जस्टिस शाह ने कहा कि क्या हमारी नैतिकता इतनी गिर गई है कि इसमें भी फर्जी दावे किए जा रहे हैं? हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के फर्जी दावे किए जाएंगे, मुआवजा देना एक पवित्र कार्य है और हमने कभी नहीं सोचा था कि इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है. अगर इसमें अधिकारी शामिल हैं तो यह और भी गंभीर बात है. आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने नकली कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र पर अंकुश लगाने के लिए एक तंत्र पर सुझाव मांगा है, जिसके तहत 50,000 अनुग्रह राशि जारी की जाती है.
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