विज्ञापन

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने खींच दी 'लक्ष्मण रेखा', 15 प्वाइंट वाली पूरी गाइडलाइन पढ़िए

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि बुलडोजर से की जा रही कार्रवाई असंवैधानिक है. अदालत ने कहा है कि किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगा है. अदालत ने कहा कि आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम है कार्यपालिका का नहीं.

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने खींच दी 'लक्ष्मण रेखा', 15 प्वाइंट वाली पूरी गाइडलाइन पढ़िए
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर न्याय पर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से लोगों के घर गिराए जाने को असंवैधानिक बताया है. अदालत ने कहा कि यदि कार्यपालिका किसी व्यक्ति का मकान केवल इस आधार पर गिरा देती है कि वह अभियुक्त है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यहां तक कि गंभीर अपराधों के आरोपी और दोषी के खिलाफ भी बुलडोजर की कार्रवाई बिना नियम का पालन किए नहीं की जा सकती. कोर्ट ने कहा कानून का शासन,नागरिकों के अधिकार और प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत आवश्यक शर्त है.अगर किसी संपत्ति को केवल इसलिए ध्वस्त कर दिया जाता है क्योंकि व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है.

बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

  • किसी एक की गलती की सजा पूरे परिवार को नहीं दे सकते 
  • आरोपी एक तो पूरे परिवार को सजा क्यों?
  • गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिले
  • सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जा सकता
  • बुलडोजर ऐक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता है
  • बुलडोजर की मनमानी पर अधिकारियों को नहीं बख्शेंगे
  • घर तोड़ने की हालत में संबंधित पक्ष को समय मिले
  • किसी अपराध की सजा देने अदालत का काम है
  • बिना फैसले के किसी को भी दोषी न माना जाए
  • रजिस्टर्ड पोस्ट से नोटिस भेजें, 15 दिन का वक्त मिले
Latest and Breaking News on NDTV

सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या है

सुप्रीम कोर्ट के बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन के पीठ ने सुनाया फैसला.अपने फैसले में जस्टिस गवई ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीद होती है.हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिने. हर आदमी की उम्मीद होती है कि उसके पास आश्रय हो. हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय छीन सकती है जिस पर अपराध का आरोप है. अदालत ने कहा कि किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है.उन्होंने कहा कि आरोपों पर सच्चाई का फैसला सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी.

Latest and Breaking News on NDTV

अदालत ने कहा कि कानून का शासन लोकतांत्रिक शासन का मूल आधार है.यह मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है. यह यह अनिवार्य करता है कि कानूनी प्रक्रिया को अभियुक्त के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए.कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून व्यस्था बनाए रखे.

Latest and Breaking News on NDTV

राज्य के मनमानी पर लगाई रोक

अदालत ने कहा कि सभी पक्षों सुनने के बाद ही हम आदेश जारी कर रहे है. अदालत ने कहा कि हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है.यह व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं.अदालत ने कहा कि सत्ता के मनमाने प्रयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से हो रही कार्रवाई को लेकर अपनी गाइडलाइन जारी की. 

  • यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए.
  • बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी. 
  • मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और नोटिस को संरचना के बाहर चिपकाया भी जाएगा.
  • नोटिस तामील होने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए संरचना के मालिक को 15 दिन का समय दिया जाएगा. 
  • तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी.
  • कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे.
  • नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, निजी सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा. 
  • प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा. उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा. इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र जवाब क्यों है. 
  • आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा.
  • आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे.
  • विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाएगी.वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए. उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए.
  • सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए.
  • इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा. 
  • सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए.
Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें: बुलडोजर पर सुप्रीम फैसले ने विपक्ष को दिया 'मौका', जानिए अखिलेश से लेकर ओवैसी ने क्या कहा

भारत के लिए गुड न्यूज और चीन के लिए टेंशन है ट्रंप की यह 'झप्पी', जरा समझिए

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com