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This Article is From Sep 28, 2022

बलवंत सिंह राजोआना की सजा कम करने की अर्जी पर सरकार जल्द ले फैसला : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या (Murder) के मामले में मौत के सजायाफ्ता बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की सजा कम करने की अर्जी पर सरकार से जल्द फैसला लेने के लिए कहा है. 

बलवंत सिंह राजोआना की सजा कम करने की अर्जी पर सरकार जल्द ले फैसला : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की सजा कम करने की अर्जी पर जल्द फैसला लेने को कहा है.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (EX Minister Beant Singh) की हत्या के मामले में मौत की सजायाफ्ता बलवंत सिंह राजोआना की सजा कम करने की अर्जी पर जल्द फैसला ले. कोर्ट ने कहा कि 2 मई के आदेश के मुताबिक फैसला लेने के लिए 2 महीने की दी गई समयसीमा बहुत पहले ही खत्म हो चुकी है. कोर्ट ने कहा सरकार इस मामले मं चाहे जो फैसला ले, लेकिन इस पर फैसला लेना ही होगा.  CJI यू- यू ललित की बेंच ने सरकार से गुरुवार तक हलफनामा दाखिल कर ये भी बताने को कहा है कि इस बारे में कितनी प्रगति हुई है. शुक्रवार 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. इससे पहले दो मई 2022 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के अपराध में मृत्युदंड की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की ओर से दाखिल दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने की मोहलत दी थी.

राजोआना पर क्या है आरोप
राजोआना पर 1995 में बेअंत सिंह की हत्या की साजिश रचने से लेकर उसे अंजाम देने का अपराध सिद्ध हो चुका है. उसके लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सजा-ए-मौत तय हो चुकी है. लेकिन लंबे अरसे से राजोआना की ओर से राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लंबित है.

2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि दोषी वह बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने  के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव कब भेजेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में केंद्र सरकार को ये बताने के लिए कहा था. दरअसल पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या के लिए राजोआना को मौत की सजा सुनाई गई थी. राजोआना ने सजा के खिलाफ अपील नहीं की है और वह पिछले 25 साल से जेल में है. दूसरों ने उसकी ओर से दया याचिका दायर की है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
अन्य सह अभियुक्तों द्वारा लंबित अपील का केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से कोई प्रासंगिकता नहीं है कि गुरु नानक की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में कुछ दोषियों की मौत की सजा कम करने का फैसला किया जाए.सितंबर 2019 में गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरु नायक देव जी की 550 वीं जयंती के अवसर पर, कुछ कैदियों की रिहाई प्रस्तावित है. राजोआना ने कोई अपील भी नहीं की है, ऐसे में उसका कोई मामला अदालत में लंबित नहीं है. एक बार जब सरकार ने दोषी व्यक्ति की माफी लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करने का फैसला किया है, तो उसके सह-अभियुक्तों के सुप्रीम कोर्ट में अपील के लंबित रहना. अनुच्छेद 72 के तहत शुरू की गई प्रक्रिया में देरी नहीं कर सकता.

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