नई दिल्ली:
जेबीटी घोटाले में दस साल की सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला फिलहाल जेल में ही रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला, अजय चौटाला व अन्य की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें दोनों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने दोनों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में किसी भी अपील पर विचार के लिए तैयार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले में जो आधार है, वह तर्कसंगत है। साथ ही कोर्ट ने चौटाला की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने जमानत की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकते हैं। चौटाला ने हेल्थ ग्राउंड पर जमानत की मांग की थी। ओपी चौटाला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील ने दलील दी कि चौटाला का इस मामले में कोई रोल नहीं है। उनके सबऑर्डिनेट स्टाफ ने जो भी किया वह किया। उनके स्टाफ के किए की सजा चौटाला को नहीं मिलनी चाहिए।
चौटाला ने मीटिंग में सही लिस्ट जारी करने के लिए कहा था। उनका रोल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 मई को ही उन्होंने इस मामले में विचार से इनकार किया था। इस पर चौटाला के वकील ने कहा कि लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में बदलाव किया था और कहा था कि अभी विचार के लिए तैयार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी। इसी साल 5 मार्च को जेबीटी घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन अन्य दोषियों को भी 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्त मृदुल ने कहा था कि जिस वक्त यह घोटाला हुआ उस वक्त ओपी चौटाला सीएम थे और इस कारण वह इस मामले में ज्यादा जिम्मेदार हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को कलंकित किया और भ्रष्टाचार करके इस प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया। हाईकोर्ट ने उन सभी 55 दोषियों की अर्जी खारिज कर दी थी जिन्होंने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला समेत 55 आरोपियों को इस मामले में सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में सीबीआई का आरोप है कि आरोपियों ने अवैध तरीके से 3206 जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती की थी। यह भर्ती 2000 में की गई थी और उस समय ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के सीएम थे। आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान ओपी चौटाला को मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत दी गई थी। बाद में हाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2014 में उन्हें जेल के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया था।
बुरे फंसे चौटाला
हाई कोर्ट ने दोनों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में किसी भी अपील पर विचार के लिए तैयार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले में जो आधार है, वह तर्कसंगत है। साथ ही कोर्ट ने चौटाला की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने जमानत की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकते हैं। चौटाला ने हेल्थ ग्राउंड पर जमानत की मांग की थी। ओपी चौटाला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील ने दलील दी कि चौटाला का इस मामले में कोई रोल नहीं है। उनके सबऑर्डिनेट स्टाफ ने जो भी किया वह किया। उनके स्टाफ के किए की सजा चौटाला को नहीं मिलनी चाहिए।
चौटाला ने मीटिंग में सही लिस्ट जारी करने के लिए कहा था। उनका रोल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 मई को ही उन्होंने इस मामले में विचार से इनकार किया था। इस पर चौटाला के वकील ने कहा कि लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में बदलाव किया था और कहा था कि अभी विचार के लिए तैयार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी। इसी साल 5 मार्च को जेबीटी घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन अन्य दोषियों को भी 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्त मृदुल ने कहा था कि जिस वक्त यह घोटाला हुआ उस वक्त ओपी चौटाला सीएम थे और इस कारण वह इस मामले में ज्यादा जिम्मेदार हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को कलंकित किया और भ्रष्टाचार करके इस प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया। हाईकोर्ट ने उन सभी 55 दोषियों की अर्जी खारिज कर दी थी जिन्होंने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला समेत 55 आरोपियों को इस मामले में सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में सीबीआई का आरोप है कि आरोपियों ने अवैध तरीके से 3206 जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती की थी। यह भर्ती 2000 में की गई थी और उस समय ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के सीएम थे। आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान ओपी चौटाला को मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत दी गई थी। बाद में हाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2014 में उन्हें जेल के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया था।
बुरे फंसे चौटाला
- 25 नवंबर 2003: सुप्रीम कोर्ट ने जेबीटी घोटाले मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए।
- 12 दिसंबर 2003: सीबीआई ने प्रारंभिक जांच दर्ज की।
- 24 मई 2004: सीबीआई ने आईपीसी व पीसी एक्ट के तहत 62 लोगों के खिलाफ नियमित आधार पर मामला दर्ज किया।
- 16 जनवरी 2013 : निचली अदालत ने चौटाला पिता-पुत्र और 53 अन्य को दोषी ठहराया।
- 22 जनवरी, 2013: चौटाला पिता-पुत्र, संजीव कुमार और सात अन्य को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई। मामले में 44 दोषियों को चार साल और एक को पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई।
- 7 फरवरी, 2013: ओ पी चौटाला ने उनकी दोषसिद्धी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
- 11 जुलाई, 2014: उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
- 5 मार्च, 2015: दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। उसने चौटाला पिता-पुत्र और तीन अन्य को 10 वर्ष के कारावास और अन्य 50 दोषियों की सजा में बदलाव करके उन्हें दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई।
- 15 मई 2015- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान राहत देने से मना किया।
- 3 अगस्त 2015 चौटाला व अन्य की अर्जी सुप्रीम कोर्ट से खारिज की।
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