रेलवे लाइन व सडकों पर चल रहे प्रवासी मजदूरों का मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को रोकने और उन्हें शेल्टर होम में रखने के निर्देश देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तो लोग चल रहे हैं और रुक नहीं रहे हैं, हम इसे कैसे रोक सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम आपकी सहायता किस तरह से कर सकते है. उन्होंने कहा कि ये राज्य सरकारों पर है कि कार्रवाई करें. कोर्ट ने कहा कि हम प्रवासियों को रेलवे लाइन या सडक पर चलने से कैसे रोक सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर वकील अखबारों में घटनाओं के बारे में पढ़ता है और हर विषय का जानकार बन जाता हैं. आपका ज्ञान पूरी तरह से अखबार की खबरों पर आधारित है और फिर जनहित याचिका के जरिए इस अदालत से फैसला करना चाहते हैं. कोर्ट ने पूछा कि यह अदालत क्यों तय करे या सुने, इस अदालत के लिए यह निगरानी करना असंभव है कि कौन चल रहा है. वकील अलख अलोक ने कहा कि औरंगाबाद में 16 प्रवासियों की मौत हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल से पूछा क्या प्रवासियों को सड़क पर चलने से रोकने का कोई तरीका है ?
कोर्ट के जवाब में सॉलिसीटर जनरल ने ने कहा किराज्य अंतरराज्यीय परिवहन प्रदान कर रहे हैं लेकिन अगर लोगों को गुस्सा आता है और परिवहन के इंतजार के बजाय पैदल चलना शुरू किया जाए तो कुछ भी नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हम केवल अनुरोध कर सकते हैं कि लोगों को चलना नहीं चाहिए. लोगों को रोकने के लिए बल प्रयोग करना ठीक नहीं होगा.
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