सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश में चुनाव आयुक्त का कार्यकाल घटाने के मामले में बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने कार्यकाल घटाने के अध्यादेश को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि हम संतुष्ट नहीं हैं कि चुनाव आयुक्त का कार्यकाल घटाने के पीछे आपका उद्देश्य पूरी तरह निर्दोष था. आप इस तरह का अध्यादेश कैसे पास कर सकते हैं.
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 29 मई को वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार द्वारा राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) निम्मगड्डा रमेश कुमार का कार्यकाल पांच साल से घटाकर तीन साल करके उन्हें हटाने का अध्यादेश रद्द कर दिया. मुख्य न्यायाधीश जे. के. माहेश्वरी और वरिष्ठ न्यायाधीश सत्यनारायण मूर्ति की हाईकोर्ट की पीठ ने सरकारी आदेशों (जीओ नं. 31, 617 और 618) को भी निरस्त कर दिया था. इसके साथ ही निर्देश दिया कि रमेश कुमार को तत्काल प्रभाव से एसईसी के रूप में बहाल किया जाए.
जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 10 अप्रैल को आंध्र प्रदेश पंचायत राज अधिनियम में संशोधन करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल को पांच से घटाकर तीन वर्ष करने का आदेश दिया था. अध्यादेश जारी होने के एक दिन के अंदर, सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस वी कानागराज को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया और उन्होंने तुरंत कार्यभार संभाला. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया.
रमेश कुमार ने आंध्र सरकार के अध्यादेश जरिए किए गए अपने निष्कासन को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश को पारित करने की कोई शक्तियां नहीं हैं. 15 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर मार्च के आखिरी सप्ताह में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने का आदेश दिया गया था. इसके पीछे वजह कोरोनो वायरस महामारी बताई गई थी.
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