केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) के DSP ए के बस्सी को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने बस्सी के अंडमान में ट्रांसफर के आदेश पर दखल देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले को लेकर संबंधित फोरम में जाएं. बस्सी ने याचिका वापस ले ली है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप अब तक अंडमान क्यों नहीं गए? बस्सी की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जनवरी 2019 को, SC द्वारा एक आदेश पारित किया गया था जिसमें कहा गया था कि वो नए सीबीआई निदेशक के सामने ज्ञापन दें कि पोर्ट ब्लेयर को स्थानांतरण आदेश रद्द किया जाए.
CJI ने कहा कि जब तक ट्रांसफर ऑर्डर कोर्ट द्वारा अलग से रद्द नहीं किया जाता, यह कैसे हो सकता है? धवन ने कहा कि यह आदेश कोर्ट के आदेश की पूर्ति के लिए है. चीफ जस्टिस ने कहा यदि आपको लगता है कि स्थानांतरण अवैध है तो आपको यह स्थानांतरण आदेश अलग से प्राप्त करना होगा. हमने कहां कहा है कि बस्सी अंडमान नहीं जाएंगे. धवन ने कहा कि आपके आदेश ने ही हमें संबंधित प्राधिकारियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ने इतने लंबे समय में सेवाओं में शामिल होने से क्यों रोका है? धवन ने कहा कि प्रतिनिधित्व करने का हमें एक उपाय दिया गया था. हमें सीबीआई के साथ इसे सुलझाने का विकल्प दिया गया था. बस्सी की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए परेशान किया जा रहा है.
CJI ने कहा कि हम इस स्तर पर हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. आप उपयुक्त मंच पर जाएं. सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के DSP ए के बस्सी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपने ट्रांसफर को चुनौती दी थी. बस्सी उस टीम में शामिल थे, जो स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ FIR की जांच कर रही थी.
एम नागेश्वर राव द्वारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में ये ट्रांसफर आदेश पारित किया गया था, जिनकी खुद की नियुक्ति को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी. 9 जनवरी को आलोक वर्मा द्वारा उनका स्थानांतरण आदेश रोक दिया गया था, लेकिन 10 जनवरी को नियुक्त नए CBI प्रमुख ने वर्मा के आदेशों को उलट दिया.
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