PM के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टालने से SC का इनकार, कहा-आप कोर्ट का अपमान कर रहे

प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी से निर्वाचन के खिलाफ याचिका पर याचिकाकर्ता तेज बहादुर की तरफ से सुनवाई टाले जाने की मांग पर सीजेआई ने नाराजगी जताई.

PM के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टालने से SC का इनकार, कहा-आप कोर्ट का अपमान कर रहे

तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल क पीएम मोदी के वाराणसी से निर्वाचन को चुनौती दी है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • तेजबहादुर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
  • मामले में याचिकाकर्ता के वकील को लगाई फटकार
  • कहा, इस तरह से सुनवाई बार-बार नहीं टाली जा सकती
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता तेजबहादुर (Tej Bahadur) के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि आप हमको सबूत दिखाइए कि आपने चुनाव आयोग से कब और कितना समय मांगा, हमको आपकी बहस नही सुननी अब आप सबूत दिखाइये कि अपने कितना समय मांगा. तेजबहादुर के वकील ने फिर सुनवाई टालने की मांग की, इस पर CJI ने कहा, 'पीएम का कार्यालय ही एकमात्र कार्यालय है, अनूठा कार्यालय है, इस तरह से सुनवाई बार-बार टली नही जा सकती. ये केस लंबे समय से चला आ रहा है.चार बार तो मैं ही सुन चुका हूं.'

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प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी से निर्वाचन के खिलाफ याचिका पर याचिकाकर्ता तेज बहादुर की तरफ से सुनवाई टाले जाने की मांग पर सीजेआई ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि आप कई बार सुनवाई टाल चुके हैं.आप कोर्ट का अपमान कर रहे हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले पर.सवाल उठाया. उन्‍होंने कहा कि उचित कागज लाने के लिए महज एक दिन का समय दिया गया. रिटर्निंग अफसर को उचित समय देना चाहिए था जो नहीं दिया गया सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया. इस पर सीजेआई ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि हम इसलिए सुन रहे हैं कि ये पीएम से जुड़ा मामला है. याचिकाकर्ता के वकील ने पीएम की तरफ से पेश हो रहे वकील से वकालतनामा देने की मांग की थी और नोटिस जारी करने की बात कही थी. वकील साल्वे  ने कहा कि इन्‍होंने दो नामांकन पत्र दाखिल किए, एक स्वतंत्र और एक सपा के उम्मीदवार के तौर पर. एक नामांकन मे कहा कि उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था और एक में ऐसा कुछ नहीं कहा गया.

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CJI एसए बोबडे ने कहा, उम्मीदवार नामांकन को ठीक से या अनुचित तरीके से खारिज कर दिया गया था या नहीं, ये योग्यता पर निर्भर है. गौरतलब है कि BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना था कि तेज बहादुर न तो वाराणसी के वोटर हैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे] इस आधार पर उसका चुनाव याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता. बता दें कि वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के इच्छुक तेज बहादुर यादव का नामांकन गलत जानकारी देने के कारण रद्द कर दिया गया था. पिछले साल दिसंबर में पीएम मोदी के वाराणसी लोकसभा सीट से निर्वाचन को चुनौती देने वाली बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर की चुनाव याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने माना था कि याचिका विचार करने योग्य ही नहीं है.जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने अपने 58 पेज के फैसले में कहा था कि याची तेज बहादुर न ही वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं और न ही वे वाराणसी सीट से उम्मीदवार है, इसलिए उन्हें चुनाव याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है.

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