सट्टेबाजी ऐप पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट में आज ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप (Supreme Court On Betting Apps Ban) पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की सट्टेबाजी जुआ के समान है. इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को एक नोटिस भी जारी किया. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी किया.
याचिकाकर्ता डॉ. केए. पॉल ने कहा कि मैं यहां उन लाखों माता-पिता की ओर से हूं, जिनके बच्चे मर गए. तेलंगाना में 1023 लोगों ने आत्महत्या कर ली. 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड अभिनेता और प्रभावशाली लोग मासूमों की जिंदगी से खेल रहे हैं. इस मामले में बहुत सी एफआईआर दर्ज की गई हैं. हमारे युवाओं पर सट्टेबाजी ऐप का बहुत बुरा असर पड़ रहा है.सिगरेट पर उसके हानिकारक होने के बारे में चेतावनी लिखी होती है, लेकिन सट्टेबाजी के मामले में नहीं.
जस्टिस सूर्यकांत की अहम टिप्पणी
- मूल रूप से हम आपके साथ हैं, इसे रोका जाना चाहिए
- लेकिन शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे कानून के ज़रिए रोका जा सकता है
- ठीक वैसे ही जैसे हम कानून के बावजूद लोगों को हत्या करने से नहीं रोक सकते
- हमने इंटरनेट दिया है
- माता-पिता एक टीवी देखते हैं, बच्चे दूसरे टीवी देखते हैं
- यह पूरी तरह से सामाजिक विचलन है
- भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को अर्जी की सॉफ्ट कॉपी दी जाए
- अगर हमें बाद में ज़रूरत महसूस हुई तो सभी राज्यों को नोटिस जारी किए जाएंगे
PIL में क्या हैं याचिकाकर्ता की मांगें
- भारत सरकार को ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी और जुए को प्रतिबंधित या विनियमित करने के लिए एक समान केंद्रीय कानून बनाना चाहिए.
- Google, Apple और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को सभी गैर-अनुपालन वाले सट्टेबाजी ऐप को तुरंत हटाने का निर्देश दिए जाएं.
- TRAI और MeitY को विदेशी सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म तक पहुंच को अवरुद्ध करने का निर्देश दिया जाए.
- सट्टेबाजी ऐप से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों की जांच करने के लिए ED और RBI को निर्देश दिए जाएं.
- सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें केंद्र को यह घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप जुए की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं और सख्त केंद्रीय और राज्य कानूनों के तहत उन पर तत्काल प्रतिबंध या नियंत्रण का निर्देश दिया जाए.
'आप इस गलतफहमी में...'
जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता से सहमति जताते हुए मामले पर चिंता जताई और कहा कि इंटरनेट सबके पास है. अदालत याचिकाकर्ताओं के साथ है. इतना ही उन्होंने याचिकाकर्ताओं से कहा कि शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे कानून के ज़रिए रोका जा सकता है. ये ठीक वैसा ही है जैसे हम कानून के बावजूद लोगों को हत्या करने से नहीं रोक सकते.
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