नीट में अलग-अलग भाषाओं के अलग-अलग प्रश्नपत्रों के मुद्दे को लेकर गुजरात में विरोध प्रदर्शन किया गया था.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई को अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने 2018 से CBSE को अंग्रेजी, हिंदी व सात अन्य भाषाओं के लिए एक जैसे प्रश्नपत्र बनाने के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी भाषाओं में एक जैसा ही प्रश्नपत्र होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब परीक्षा में इतनी दिक्कतें आ रही हैं तो एक जैसे ही प्रश्नपत्र होने चाहिए. सीबीएसई ने इसके लिए सहमति जताई. कोर्ट ने सीबीएसई से हलफनामा दाखिल करके यह बताने के लिए कहा है कि वह भविष्य में कैसे एक प्रश्नपत्र के तहत परीक्षा कराएगा. हालांकि कोर्ट ने 7 मई को हुई परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया.
यह भी पढ़ें : बांग्ला हो या कन्नड़, नीट का पश्नपत्र सभी भाषाओं में होगा एक समान: प्रकाश जावडेकर
सीबीएसई की दलील थी कि सभी भाषाओं के प्रश्नपत्रों में कठिनाई का स्तर एक जैसा था. कुल 11.58 लाख में से 1.2 लाख छात्रों ने ही दूसरी भाषाओं में पेपर दिए थे.
VIDEO : छात्र पहुंचे हाईकोर्ट में
एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि सात मई को हुई NEET की परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि अलग-अलग भाषाओं में दिए गए टेस्ट पेपर में प्रश्न अलग-अलग रहे और यह नियमों के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब परीक्षा में इतनी दिक्कतें आ रही हैं तो एक जैसे ही प्रश्नपत्र होने चाहिए. सीबीएसई ने इसके लिए सहमति जताई. कोर्ट ने सीबीएसई से हलफनामा दाखिल करके यह बताने के लिए कहा है कि वह भविष्य में कैसे एक प्रश्नपत्र के तहत परीक्षा कराएगा. हालांकि कोर्ट ने 7 मई को हुई परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया.
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सीबीएसई की दलील थी कि सभी भाषाओं के प्रश्नपत्रों में कठिनाई का स्तर एक जैसा था. कुल 11.58 लाख में से 1.2 लाख छात्रों ने ही दूसरी भाषाओं में पेपर दिए थे.
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एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि सात मई को हुई NEET की परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि अलग-अलग भाषाओं में दिए गए टेस्ट पेपर में प्रश्न अलग-अलग रहे और यह नियमों के खिलाफ है.
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