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सरिस्का टाइगर रिर्जव के पास रुकेगा अवैध खनन, SC ने निगरानी के लिए राजस्तान सरकार को दी अनुमति

सुनवाई के दौरान, राजस्थान सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रतिबंधित 1 किलोमीटर क्षेत्र में कोई खनन गतिविधि नहीं हो रही है और सख्त प्रवर्तन उपाय लागू किए गए हैं.

सरिस्का टाइगर रिर्जव के पास रुकेगा अवैध खनन, SC ने निगरानी के लिए राजस्तान सरकार को दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने सरिसा के पास खनन रोकने को लेकर बनाया नोडल ऑफिसर
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास अवैध खनन की निगरानी के लिए राजस्थान सरकार को नोडल अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन मसीह की पीठ ने सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के दायरे में अवैध खनन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार को ये खास आदेश दिया है. 

यह नोडल अधिकारी सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा से 1 किलोमीटर के भीतर अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों की निगरानी करेगा और अलवर के निवासियों या किसी अन्य संबंधित पक्ष द्वारा दर्ज की गई शिकायतों को संबोधित करने का उत्तरदायी होगा. यदि कोई शिकायत अनसुलझी रहती है या शिकायतकर्ता के खिलाफ निर्णय लिया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति राजस्थान हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है.

सुनवाई के दौरान, राजस्थान सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रतिबंधित 1 किलोमीटर क्षेत्र में कोई खनन गतिविधि नहीं हो रही है और सख्त प्रवर्तन उपाय लागू किए गए हैं. हालांकि, जनता की शिकायतों को सुनने और उनका समाधान करने के लिए सरकार एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार अलवर जिला खनन कार्यालय में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करे.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोडल अधिकारी को अवैध खनन से संबंधित शिकायतों को सुनने और उनका निपटारा करने का अधिकार होगा. यदि कोई शिकायत दर्ज होती है, तो इसे दो सप्ताह के भीतर हल किया जाएगा. यदि कोई व्यक्ति नोडल अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट होता है, तो उसे राजस्थान हाई कोर्ट में अपील करने का अधिकार होगा.

यह आदेश मोशिना द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दिया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के भीतर, क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) में अवैध खनन जारी है, जो सुप्रीम कोर्ट के 15 मई 2024 और 21 अगस्त 2024 के आदेशों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अदालत द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, खनन स्थलों पर मशीनरी, उपकरण और श्रमिक शिविर मौजूद हैं और रात के समय हाई-फोकस लाइट और हैलोजन का उपयोग कर खनन जारी है.

हालांकि, राजस्थान सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में इन आरोपों को सख्ती से खारिज कर दिया. सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, CTH के 1 किलोमीटर के भीतर कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन गतिविधियां पहले ही बंद कर दी गई हैं, और खनन विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग की एक संयुक्त टीम द्वारा नियमित निरीक्षण किए जा रहे हैं.

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण अभी तक किसी भी खनन पट्टे को रद्द नहीं किया गया है, लेकिन अदालत के निर्देशानुसार सभी खनन गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के इस नवीनतम आदेश का उद्देश्य सरिस्का टाइगर रिजर्व के आसपास प्रभावी निगरानी और अवैध खनन को रोकने के लिए अपने पूर्व आदेशों को लागू करना है. साथ ही, यह स्थानीय निवासियों और अन्य हितधारकों के लिए शिकायत निवारण की प्रक्रिया सुनिश्चित करता है. राज्य सरकार को अब अलवर जिला खनन कार्यालय में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो सभी शिकायतों की जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेगा.

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