सुप्रीम कोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर हुई सुनवाई
नई दिल्ली:
सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने के लिए कहा है. कोर्ट ने यहां तक कहा कि हम यहां सुनवाई कर रहे हैं और इस सुनवाई के दौरान 10 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो गई होगी. यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत पर चिंता जताते हुए कहा कि करीब आधे ऐसे हैं जिनके परिवारों को मुआवजे के बारे में पता ही नहीं हैं.
कोर्ट ने ऐसे परिवार की पहचान कर उनकी मदद करने के लिए कहा है. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने सरकार से कहा है कि यह मानवीय मुद्दा है. हर तीन मिनट में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत और एक साल में एक लाख 46 हजार लोगों की मौत. सड़क सुरक्षा को लेकर अदालती निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा अब तक ठोस कदम नहीं उठाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले की आधे घंटे से सुनवाई कर रहे हैं और इस दौरान सड़क दुर्घटना में 10 लोगों की मौत हो गई होगी. लिहाजा यह मामला कितना गंभीर है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. कोर्ट ने खासकर इस बात पर चिंता जताई कि सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए आधे लोगों के परिजनों को यह तक पता नहीं होता कि वे मुआवजे के भी हकदार है. ये गरीब या अशिक्षित होते हैं और कई तो ऐसे होते हैं जिनकी आमदनी से ही आजीविका चलती है. लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें मुआवजा नहीं मिलता जो उनका हक है.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि ऐसे लोगों के लिए कुछ न कुछ जरूर किया जाना चाहिए. ऐसा कोई तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिससे कि उन्हें यह पता हो कि ऐसी स्थिति में उन्हें किससे संपर्क करना है और कहां से मुआवजा लेना है. साथ ही पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों एक ऐसा तंत्र विकसित करें जिससे कि सड़क दुर्घटना पीडितों को तत्काल मुआवजा मिल सके.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा कि गया कि सड़क सुरक्षा फंड पर विचार किया जा रहा है. अधिनियम में संशोधन करने का प्रयास किया जा रहा है. इस पर बेंच ने सवाल किया कि यानी आप करदाताओं से पैसे वसूल करेंगे. पीठ ने कहा कि बीमा कंपनियों से क्यों नहीं वसूल किया जाना चाहिए. वहीं इस मामले में अमाइकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि बीमा कंपनियों को बीमा राशि में 10 रुपये की बढ़ोतरी कर देनी चाहिए और बढ़ी हुई रकम से एक कोष बनाना चाहिए.
इससे सालाना करीब 200 करोड़ रुपये जमा हो सकते हैं. इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
कोर्ट ने ऐसे परिवार की पहचान कर उनकी मदद करने के लिए कहा है. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने सरकार से कहा है कि यह मानवीय मुद्दा है. हर तीन मिनट में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत और एक साल में एक लाख 46 हजार लोगों की मौत. सड़क सुरक्षा को लेकर अदालती निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा अब तक ठोस कदम नहीं उठाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले की आधे घंटे से सुनवाई कर रहे हैं और इस दौरान सड़क दुर्घटना में 10 लोगों की मौत हो गई होगी. लिहाजा यह मामला कितना गंभीर है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. कोर्ट ने खासकर इस बात पर चिंता जताई कि सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए आधे लोगों के परिजनों को यह तक पता नहीं होता कि वे मुआवजे के भी हकदार है. ये गरीब या अशिक्षित होते हैं और कई तो ऐसे होते हैं जिनकी आमदनी से ही आजीविका चलती है. लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें मुआवजा नहीं मिलता जो उनका हक है.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि ऐसे लोगों के लिए कुछ न कुछ जरूर किया जाना चाहिए. ऐसा कोई तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिससे कि उन्हें यह पता हो कि ऐसी स्थिति में उन्हें किससे संपर्क करना है और कहां से मुआवजा लेना है. साथ ही पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों एक ऐसा तंत्र विकसित करें जिससे कि सड़क दुर्घटना पीडितों को तत्काल मुआवजा मिल सके.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा कि गया कि सड़क सुरक्षा फंड पर विचार किया जा रहा है. अधिनियम में संशोधन करने का प्रयास किया जा रहा है. इस पर बेंच ने सवाल किया कि यानी आप करदाताओं से पैसे वसूल करेंगे. पीठ ने कहा कि बीमा कंपनियों से क्यों नहीं वसूल किया जाना चाहिए. वहीं इस मामले में अमाइकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि बीमा कंपनियों को बीमा राशि में 10 रुपये की बढ़ोतरी कर देनी चाहिए और बढ़ी हुई रकम से एक कोष बनाना चाहिए.
इससे सालाना करीब 200 करोड़ रुपये जमा हो सकते हैं. इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
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