दिवाली पर पटाखें फूटेंगे या नहीं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट लेगा फैसला
दिल्ली और NCR में पटाखे की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर दिवाली से पहले ही आदेश जारी करेंगे. कोर्ट तय करेगा कि दिवाली पर दिल्ली NCR में पटाखों की बिक्री होगी या नहीं. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि कोर्ट 12 सितंबर के अपने उस आदेश को वापस ले जिसमें कोर्ट ने शर्तों के साथ दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटाई थी. इससे पहले जस्टिस मदन बी लोकुर ने सुनवाई से खुद को अलग कर मामले की सुनवाई के लिए दूसरी बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हटाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं. ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थाई लाइसेंस ही दिए जा सकेंगे. SC ने कहा है कि 2016 में दिए गए लाइसेंस में से 50 फीसदी को ही इसबार लाइसेंस दिया जाए.
राजनीतिक दलों को RTI के दायरे में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा यानी 2016 में दिए गए लाइसेंस के आधे ही इस बार दिए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे. यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें. इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश है.
दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे नहीं लाए जाएंगे, क्योंकि यहां पहले से ही पटाखे मौजूद हैं. 50 लाख किलो पटाखे दिल्ली और एनसीआर में इस दशहरे और दीपावली के लिए पर्याप्त से ज्यादा है, जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों के पास पटाखें हैं वो अपना पटाखा बेच सकते हैं या दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है क्योंकि कोर्ट ने कहा है दीपावली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा.
कार्ति चिदम्बरम को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, नहीं जा सकेंगे विदेश
दरअसल, पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे. इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, 'CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है.
पिछले साल 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है.अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह अपने तरह का अलग मामला है जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी.
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं.
दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.
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यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा यानी 2016 में दिए गए लाइसेंस के आधे ही इस बार दिए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे. यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें. इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश है.
दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे नहीं लाए जाएंगे, क्योंकि यहां पहले से ही पटाखे मौजूद हैं. 50 लाख किलो पटाखे दिल्ली और एनसीआर में इस दशहरे और दीपावली के लिए पर्याप्त से ज्यादा है, जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों के पास पटाखें हैं वो अपना पटाखा बेच सकते हैं या दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है क्योंकि कोर्ट ने कहा है दीपावली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा.
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दरअसल, पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे. इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, 'CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है.
पिछले साल 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है.अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह अपने तरह का अलग मामला है जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी.
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं.
दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.
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