गुजरात के सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) के पास कथित अवैध निर्माण पर हाल ही में हुए बुलडोजर एक्शन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने हटाई गई दरगाह पर सालाना उर्स (URS) मनाए जाने की इजाजत की मांग वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका भी खारिज की.
इस याचिका में गिर सोमनाथ के पास मौजूद दरगाह में 1 से 3 फरवरी तक सालाना उर्स मनाए जाने की इजाजत मुस्लिम पक्ष ने मांगी थी. मुस्लिम पक्ष के वकील ने अदालत से कहा कि सालों से यहां उर्स लगता आया है लेकिन प्रशासन ने कल इजाजत देने से इनकार कर दिया. प्रशासन का कहना है कि वहां पर कोई दरगाह है ही नहीं. वकील ने कहा कि रिकॉर्ड में 1960 तक का जिक्र है. कुछ शर्तों के साथ इजाजत मिलती रही है. तीन दिनों तक चलने वाला ये फर्स हर साल होता है.
क्या है गुजरात सरकार का पक्ष
गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि साल 1951 में ये जमीन सरदार पटेल ट्रस्ट को सौंपी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि उस इलाके में मौजूद सभी धर्मों के अवैध निर्माण को तोड़ दिया गया. उनमें मंदिर भी शामिल थे.उन्होंने कहा कि मुख्य मामला अभी हाईकोर्ट में चल रहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में ASI ने भी कहा कि यहां कोई संरक्षित स्ट्रक्चर नहीं है.
उर्स मनाने के लिए मांगी इजाजत
दरअसल मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि उर्स मनाने के लिए प्रशासन से इजाजत मांगी, लेकिन प्रशासन कोई जवाब नहीं दे रहा है. अवैध निर्माण को गिराए जाने के मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए यथा स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. जिसके बाद पाटनी मुस्लिम जमात ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की थी.
मुस्लिम पक्ष की SC में दलील
याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस का हवाला दिया गया था. अवमानना याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक के आदेश के बावजूद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई.
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