सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पुरानी हिंदी फिल्म 'रोटी' का एक मशहूर गाना है, 'यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक इंसान चुनो, जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो।' उसी की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील को कहा कि वो जाकर रिसर्च करे और कोर्ट को बताए कि कोई एक इंसान है, जिसकी कभी आलोचना नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है। अगर कोर्ट ये चाहे कि देश से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो, लेकिन कोर्ट दायरे में रहकर ही आदेश जारी कर सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की बेंच एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सीनियर वकीलों की बातों पर ज्यादा गौर करता है और बाकी वकील इससे प्रभावित होते हैं। इस मामले में एक्टर सलमान खान के हिट एंड रन केस का हवाला दिया गया कि कैसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान की अपील को जल्द सुना और फैसला सुनाया। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा किसी को नहीं सोचना चाहिए कि कोर्ट सीनियर वकीलों की ही सुनता है।
कोर्ट को किसी मामले का फैसला करने में वकीलों की दलील और बहस से ही मदद मिलती है। सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने वकील को कहा कि वो एक रिसर्च कर रिपोर्ट दें कि क्या दुनिया में कोई ऐसा शख्स हुआ है जिसे कभी आलोचना का सामना ना करना पड़ा हो। ये व्यक्ति कोई इतिहास या पुराण से जुड़ा हो सकता है। जस्टिस मिश्रा ने अपना ही केस बताया जब 1977 में वो वकालत कर रहे थे और एक केस में उनकी दलीलों से जज प्रभावित हुए और आधा घंटा तक बहस की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि केस की सुनवाई हमेशा केस की गंभीरता पर ही निर्भर करती है।
वहीं जस्टिस शिव कीर्ति सिंह ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है और उसी दायरे में रहकर काम करना होता है। कोर्ट चाहता है कि देश में भ्रष्टाचार ना रहे लेकिन आदेश देने का भी दायरा है। वकील ने कहा कि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है क्योंकि वो मलयालम मीडियम से पढ़े हैं। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि वो खुद सरकारी स्कूल में उडिया मीडियम से पढ़े हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है। अगर कोर्ट ये चाहे कि देश से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो, लेकिन कोर्ट दायरे में रहकर ही आदेश जारी कर सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की बेंच एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सीनियर वकीलों की बातों पर ज्यादा गौर करता है और बाकी वकील इससे प्रभावित होते हैं। इस मामले में एक्टर सलमान खान के हिट एंड रन केस का हवाला दिया गया कि कैसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान की अपील को जल्द सुना और फैसला सुनाया। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा किसी को नहीं सोचना चाहिए कि कोर्ट सीनियर वकीलों की ही सुनता है।
कोर्ट को किसी मामले का फैसला करने में वकीलों की दलील और बहस से ही मदद मिलती है। सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने वकील को कहा कि वो एक रिसर्च कर रिपोर्ट दें कि क्या दुनिया में कोई ऐसा शख्स हुआ है जिसे कभी आलोचना का सामना ना करना पड़ा हो। ये व्यक्ति कोई इतिहास या पुराण से जुड़ा हो सकता है। जस्टिस मिश्रा ने अपना ही केस बताया जब 1977 में वो वकालत कर रहे थे और एक केस में उनकी दलीलों से जज प्रभावित हुए और आधा घंटा तक बहस की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि केस की सुनवाई हमेशा केस की गंभीरता पर ही निर्भर करती है।
वहीं जस्टिस शिव कीर्ति सिंह ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है और उसी दायरे में रहकर काम करना होता है। कोर्ट चाहता है कि देश में भ्रष्टाचार ना रहे लेकिन आदेश देने का भी दायरा है। वकील ने कहा कि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है क्योंकि वो मलयालम मीडियम से पढ़े हैं। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि वो खुद सरकारी स्कूल में उडिया मीडियम से पढ़े हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया।
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