सीबीआई द्वारा बहुत देरी से अपील दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जताई नाराज़गी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई (CBI) के निदेशक से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आइंदा अपील दायर करने में देरी न हो. दरअसल, नवंबर 2018 में रायपुर में सीबीआई के विशेष जज ने एक आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 3 साल कैद की सजा सुनाई थी. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 26 जून 2019 को यह फैसला उलट दिया और आरोपी को बरी कर दिया. इस मामले में सीबीआई ने अपील दायर करने में देरी की.
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, एजेंसी (सीबीआई) अब यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करेगी कि अपील बिना देरी के दायर की जाए.
दरअसल नवंबर 2018 में रायपुर में सीबीआई के विशेष जज ने आरोपी को धारा 467, 468 और 120 B आईपीसी और 32/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और 3 साल कैद की सजा सुनाई थी. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 26 जून 2019 को यह फैसला उलट दिया और आरोपी को बरी कर दिया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने लापरवाही बरतते हुए अपील दायर करने में 647 दिनों की देरी कर दी. देरी के लिए माफी के आवेदन में कोविड और लॉकडाउन का कारण दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोविड के कारण देरी की व्याख्या स्वीकार्य नहीं है क्योंकि निर्णय मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत से बहुत पहले का था. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सीबीआई से कहा कि हमारा विचार है कि सीबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार की देरी न हो.
न्यायालय ने कहा कि हम सीबीआई निदेशक को आईसीटी प्लेटफॉर्म पर अपील दायर करने की निगरानी के लिए आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाने का निर्देश देते हैं ताकि देरी न हो.
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