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This Article is From Dec 01, 2020

आंध्र प्रदेश के CM जगन मोहन रेड्डी को हटाने की मांग वाली जनहित याचिका SC ने की खारिज

वकील जीएस मणि की याचिका में जगन से संबंधित मामले की जांच सीबीआई या रिटायर जज से जांच कराने और जगन मोहन रेड्डी को पद से हटाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई थी.

आंध्र प्रदेश के CM जगन मोहन रेड्डी को हटाने की मांग वाली जनहित याचिका SC ने की खारिज
आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ वकील जीएस मणि ने यह याचिका दाखिल की थी
नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) के खिलाफ दाखिल याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दी है. वकील जीएस मणि की याचिका में जगन से संबंधित मामले की जांच सीबीआई या रिटायर जज से जांच कराने और जगन मोहन रेड्डी को पद से हटाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई थी. सीएम आंध्रप्रदेश को बयान देने से रोकने की मांग वाली याचिका को उस बेंच के पास भेजा जो पहले से इससे संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. SC ने कहा कि जब एक अन्य बेंच ने पहले से ही कुछ मुद्दों पर सुनवाई की है और मीडिया के खिलाफ गैग आदेश को हटाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया है तो हमें इन याचिकाओं पर सुनवाई क्यों करनी चाहिए. उस बेंच को सब कुछ परीक्षण करने देना चाहिए.

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याचिका में सुप्रीम कोर्ट से रेड्डी को मुख्यमंत्री पद से हटाने के आदेश देने की मांग की गई थी.इसमें  कहा गया है कि जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के जज एनवी रमना  के खिलाफ 6 अक्‍टूबर 2020 को CJI को एक आधिकारिक पत्र भेजने के बाद सार्वजनिक और मीडिया में जस्टिस रमना और हाई कोर्ट के जजों पर एपी राज्य के मामलों में कथित प्रभाव और भागीदारी का आरोप लगाया जो कि अपने पद का दुरुपयोग है.

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सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने कहा था कि जगनमोहन रेड्डी  पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार सहित 30 से अधिक आपराधिक मामले हैं जो प्रकृति में बहुत गंभीर हैं. आंध्र राज्‍य के सीएम के रूप में अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग करके अदालत से व्यक्तिगत लाभ या राहत प्राप्त करने के लिए, खुले तौर पर झूठी और अपमानजनक टिप्पणी की गई है. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के खिलाफ राजनीतिक आरोप, केवल जनता के दिमाग में न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने के लिए है, इसलिए, राज्य के सीएम के रूप में उनको हटाने के लिए उचित कार्रवाई हो. रेड्डी द्वारा लगाए गए अस्पष्ट आरोपों पर उच्चतम न्यायालय के वर्तमान या रिटायर्ड जज या सीबीआई सहित किसी भी प्राधिकारी के नेतृत्व में आंतरिक समिति का गठन करते हुए न्यायिक जांच की मांग भी की गई थी.

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