सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि जनहित याचिका के लिए भी कोई अनुशासन होमा चाहिए. सीजेआई ने कहा कि अस्थाना को पद पर रहना चाहिए या नहीं इसके लिए प्रभावित व्यक्ति को कोर्ट में आने दें. उन्होंने कहा कि आपने इधर-उधर से जोड़कर सारी प्रार्थनाएं आसमान के नीचे एक कर दी गई हैं. ऐसा नहीं हो सकता है. चीफ जस्टिस गोगाई ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें ये समझ नहीं आया कि आपकी प्रार्थना क्या है, आप किस तरह राहत चाहते हैं. उन्होंने पूछा कि आपकी याचिका, अस्थाना के खिलाफ प्रार्थना का हाई पावर कमेटी से क्या ताल्लुक है.
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दरअसल वकील मनोहर लाल शर्मा द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया था कि कानून के मुताबिक FIR में आरोपी बताए गए अस्थाना को मामले का निपटारा होने तक सस्पेंड किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने उनको प्रमोशन देकर DG बना दिया. याचिका में ये भी कहा गया था कि हाईपावर कमेटी में आलोक वर्मा का टर्मिनेशन प्रोसेस गलत था. भविष्य में यदि किसी निदेशक को हटाने की नौबत आये तो इसके लिए भी नई गाइड लाइन बनाई जानी चाहिए. शर्मा ने दस जनवरी के आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक से हटाए जाने के हाईपावर कमेटी के फैसले को भी रद्द करने की मांग की है.
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बता दें कि हाईकोर्ट ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज प्राथमीकि को रद्द करने से 11 जनवरी को इनकार कर दिया था और जांच पूरी होने के लिए 10 सप्ताह की समयसीमा निर्धारित की थी. इस बीच सरकार ने 18 जनवरी को अस्थाना को बीसीएएस का निदेशक नियुक्त किया था.
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