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आवश्यकता है... प्रेमिका की तलाश में जुटे 'लव गुरु' मटुकनाथ की कहानी

"आवश्यकता, एक पढ़े-लिखे, समझदार इकहत्तर वर्षीय बूढ़े किसान को पढ़ी-लिखी, समझदार 50-60 के बीच की बुढ़िया चाहिए. बहुत पसंद आ जाने पर उमर में ढील दी जायेगी. शर्त एक ही है कि वासना रहित प्यार की लेन -देन में सक्षम हो."

आवश्यकता है... प्रेमिका की तलाश में जुटे 'लव गुरु' मटुकनाथ की कहानी
'लव गुरु' मटुकनाथ को फिर चाहिए नई प्रेमिका...
पटना:

'लव गुरु' मटुकनाथ एक बार फिर प्‍यार तलाश रहे हैं. इस बार वह प्रेमिका की तलाश सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. अकेलापन दूर करने के लिए उन्होंने फेसबुक पर प्रेमिका की तलाश में एक 'इश्तिहार' निकाला है. इस इश्तिहार में 'लव गुरु' मटुकनाथ ने बताया है कि उन्‍हें इस बार कैसा लाइफ पार्टनर चाहिए. इस इश्तिहार में मटुकनाथ ने साफ कर दिया है कि उन्‍हें 'वासना रहित' प्‍यार की तलाश है. लेकिन 'लव गुरु' मटुकनाथ को उम्र के इस पड़ाव पर नई प्रेमिका क्‍यों चाहिए, आइए आपको बताते हैं. 

मटुकनाथ को 'वासना रहित' प्रेम की तलाश

'लव गुरु' मटुकनाथ को पटना यूनिवर्सिटी से रिटायर हुए काफी समय हो गया है. इसके बाद वह अपने पैतृक गांव नवगछिया में एक स्कूल चला रहे हैं. काफी सालों से वह खबरों से दूर थे, लेकिन जीवन संगिनी की खोज वाला इश्तिहार देकर वह फिर चर्चा में आ गए हैं. ये इश्तिहार उन्‍होंने फेसबुक पर दिया है. इस पोस्‍ट में मटुकनाथ  50 से 60 साल की पढ़ी-लिखी, समझदार महिला की तलाश कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले उनकी प्रेमिका जूली, लगभग उनसे आधी उम्र की थी. जूली के साथ हुए प्रेम के बाद वह चर्चा में आए थे और उन्‍हें 'लव गुरु' कहा जाने लगा था. 

'लव गुरु' मटुकनाथ की प्रेम कहानी 

मटुकनाथ पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, जिन्हें अपनी स्‍टूडेंट जूली से प्रेम हो गया था. जूली उनसे उम्र में बेहद छोटी थी. इधर मटुकनाथ शादीशुदा था और उनके बच्‍चे भी जूली से बड़े हैं. इसलिए उनकी यह प्रेम कहानी भारतीय समाज में एक अनोखी घटना थी और इसने बड़ी बहस को जन्म दिया था. मटुकनाथ और जूली की लव स्‍टोरी ने भारतीय समाज में एक तूफान-सा खड़ा कर दिया था. एक बुजुर्ग शिक्षक और एक युवा छात्रा के बीच का यह प्रेम संबंध कई लोगों के लिए स्वीकार्य नहीं था. इस जोड़े ने कई सामाजिक मानदंडों को तोड़ा और अपनी प्रेम कहानी को जीने की कोशिश की. हालांकि, ये प्रेम कहानी ज्‍यादा लंबे समय तक आगे नहीं बढ़ सकी और जूली और मटुकनाथ अलग हो गए. जूली देश छोड़कर चली गई थी और मटुकनाथ को अपनी पत्नी और बेटे से भी अलग होना पड़ा. जूली से अलग होने के बाद मटुकनाथ ने अपने जीवन को नए सिरे से शुरू किया. उन्होंने एक स्कूल खोला और बच्चों को पढ़ाने लगे. खबरों के मुताबिक, जूली अब गोवा में इस्कॉन मंदिर में साधना कर रही हैं.

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मटुकनाथ ने दिया ये 'इश्तिहार' 

"आवश्यकता ,एक पढ़े-लिखे, समझदार इकहत्तर वर्षीय बूढ़े किसान को पढ़ी -लिखी, समझदार 50-60 के  बीच की बुढ़िया चाहिए. बहुत पसंद आ जाने पर उमर में ढील दी जायेगी. शर्त एक ही है कि वासना रहित प्यार की लेन -देन में सक्षम हो. प्यार, पुस्तक और यात्रा में दिलचस्पी हो. पर निंदा से दूर रहे. जब भी किसी की चर्चा करे तो उसके गुणों की है. सादा और स्वादिष्ट भोजन बनाने में निपुण हो. पुरुषों से सहयोग लेने की कला में पटु हो. ध्यान में दिलचस्पी हो तो कहना ही क्या! हंसमुख हो. निरर्थक बातें न करती हो. धन -लोभी न हो. सज्जनों के प्रति प्रेम और दुर्जनों के प्रति क्रोध से भरी हो. बूढ़े ने बुढ़िया से इतने गुणों की अपेक्षा इसलिए की है, क्योंकि ये गुण उसमें भी विद्यमान हैं.

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मटुकनाथ की पोस्‍ट पर 'गजब' के रिएक्‍शन 

मटुकनाथ की पोस्‍ट की पोस्‍ट पर कई लोगों ने रिएक्‍शन दिये हैं. फेसबुक पर उनसे यूजर्स कई सवाल पूछ रहे हैं. एक यूजर ने लिख- "वानप्रस्थ की बेला में जीवन संगिनी की खोज? क्यों तलाशते हैं, एक अतिरिक्त बोझ? जो जीवन के इतने वर्षों में न मिला, जिसका अभाव अभी भी सालता है, हे मित्र तूं ऐसी आकांक्षा क्यों पालता है?" दूसरे शख्‍स ने लिख- "अगर बुढ़िया के गुणों को देखा जाय तो हमे लगता है कि बूढ़े को बुढ़िया तो नहीं कतई नहीं चाहिए और यह कहानी इसीलिए गढ़ी गई है, ताकि बूढ़े को अपने गुणों का बखान करना था." तीसरे ने पूछ लिया- "गुरुजी जूली जी आजकल कहाँ हैं?" एक अन्‍य शख्‍स ने लिखा- "भारतीय समाज में कुछ कठिन है, ऐसा पात्र ढूंढ पाना, फिर भी हो जाएगा, ऐसा लगता है."

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