सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और कहा है कि आप अपने लोगों से कहें, अदालत (Supreme Court) की आलोचना बंद करें क्योंकि सरकार खुद ही अपना काम नहीं कर रही है. आप आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल के लिए कोई कदम नहीं उठाते लेकिन न्याय में देरी के लिए अदालत की आलोचना करते हैं. जस्टिस मदन बी लोकुर ने ASG अमन लेखी से कहा कि ये हैरत भरा है. आप अपने लोगों से कहें कि अदालत की आलोचना बंद करें क्योंकि सरकार खुद ही अपना काम नहीं कर रही है. वहीं कोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों की दुर्दशा पर भी राज्यों को फटकार लगाई है. कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों से पूछा कि वह आखिर कई नोटिस जारी किए जाने के बाद भी केंद्र सरकार को जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं.
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वह यह क्यूं नहीं बता रहे कि आखिर उन्होंने अपने राज्य की जेलों में बंद कैदियों की हालत को सुधारने के लिए क्या कुछ किया है. कोर्ट ने कहा कि गोवा और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के वकील तो अदालत में मौजूद ही नहीं होते. कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब भी कोर्ट राज्यों या सरकार को बताती है कि कौन से काम उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए तो हमें ही कहा जाता है कि कोर्ट हमें क्यों बता रहा है. यह कोई पहला मामला नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य की सरकारों को फटकार लगाई हो. इससे पहले कोर्ट ने देशभर के शेल्टर होम की खराब हालात पर केंद्र और राज्यों को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा कि इससे साफ है कि शेल्टर होम के लिए कोई कुछ नहीं करना चाहता है और अदालत आदेश देती है तो ज्यूडिशियल एक्टिविज़्म का मसला खड़ा कर कर दिया जाता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की सोशल ऑडिट रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया. NCPCR ने रिपोर्ट में कहा है कि इस समय देश में 3540 जुवेनाइल इंस्टीट्यूट हैं, जिसमें से 2874 चिल्ड्रेन होम हैं. केवल 54 होम का पॉजीटिव रेस्पॉन्स है. दूसरी तरफ, 185 शेल्टर होम जिनका अभी ऑडिट हुआ है उसमें 19 में ही रिकॉर्ड मेंटेन किया गया है. NCPCR ने कहा था कि सोशल ऑडिट अभी भी चल रही है और यह अक्टूबर 2018 तक चलेगाी. WCD ने कोर्ट में कहा थी कि उन्होंने सभी राज्य के मुख्य सचिव को शेल्टर होम के निरीक्षण को लेकर निर्देश दिया है.
VIDEO: एससी ने बिहार सरकार को लगाई फटकार.
15 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट भी देने को कहा है. इस मामले में 18 सितंबर को मीटिंग करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. आपको बता दें कि पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में कई बच्चियों से रेप का मामला सामने आने के बाद देशभर में भूचाल आ गया था. मुजफ्फरपुर का मामला थमा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का मामला सामने आया. यहां देवरियां में भी बच्चियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.
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वह यह क्यूं नहीं बता रहे कि आखिर उन्होंने अपने राज्य की जेलों में बंद कैदियों की हालत को सुधारने के लिए क्या कुछ किया है. कोर्ट ने कहा कि गोवा और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के वकील तो अदालत में मौजूद ही नहीं होते. कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब भी कोर्ट राज्यों या सरकार को बताती है कि कौन से काम उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए तो हमें ही कहा जाता है कि कोर्ट हमें क्यों बता रहा है. यह कोई पहला मामला नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य की सरकारों को फटकार लगाई हो. इससे पहले कोर्ट ने देशभर के शेल्टर होम की खराब हालात पर केंद्र और राज्यों को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा कि इससे साफ है कि शेल्टर होम के लिए कोई कुछ नहीं करना चाहता है और अदालत आदेश देती है तो ज्यूडिशियल एक्टिविज़्म का मसला खड़ा कर कर दिया जाता है.
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15 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट भी देने को कहा है. इस मामले में 18 सितंबर को मीटिंग करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. आपको बता दें कि पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में कई बच्चियों से रेप का मामला सामने आने के बाद देशभर में भूचाल आ गया था. मुजफ्फरपुर का मामला थमा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का मामला सामने आया. यहां देवरियां में भी बच्चियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.
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