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This Article is From Mar 01, 2023

BBC IT सर्वे को लेकर सवाल खड़े करने वाले ब्रिटेन के मंत्री को एस जयशंकर ने दिया कड़ा जवाब: सूत्र

पिछले महीने भारत में आयकर विभाग ने कर भुगतान में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर तीन दिनों तक दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों की तलाशी ली थी.

नई दिल्ली:

भारत में बीबीसी ऑफिस में हुए आयकर सर्वे को लेकर ब्रिटेन के मंत्री द्वारा सवाल खड़े करने पर भारत की तरफ से कड़ा जवाब दिया गया है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के पक्ष को मजबूती से रखा है. सूत्रों के अनुसार जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री से कहा कि भारत में काम करने वाली सभी संस्थाओं को देश के कानून का पालन करना चाहिए. गौरतलब है कि पिछले महीने आयकर विभाग ने कर भुगतान में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर तीन दिनों तक दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों की तलाशी ली थी. सर्वे के दौरान सीनियर स्टाफ को सवालों के जवाब देने के लिए रातभर रुकना पड़ा था.

गौरतलब है कि लंदन स्थित मुख्यालय से संचालित बीबीसी द्वारा ब्रिटेन में दो-भाग वाले विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' प्रसारित किये जाने के कुछ सप्ताह बाद आयकर विभाग ने सर्वेक्षण किया था. डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों का संदर्भ दिया गया था.

बताते चलें कि बीबीसी के प्रमुख ने भी नई दिल्ली और मुंबई के उसके कार्यालयों में आयकर विभाग के ‘सर्वेक्षण' के कुछ दिनों बाद कहा था कि बीबीसी किसी ‘‘एजेंडे'' से नहीं, बल्कि उद्देश्य से संचालित है. वह निष्पक्ष और बिना किसी डर के रिपोर्टिंग करता रहेगा. 

जयशंकर ने डॉक्‍यूमेंट्री पर सरकार के फैसले का किया था बचाव

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पीएम नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की विवादित डॉक्‍यूमेंट्री को लेकर भारत में हुए विवादों पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी बचाव किया था. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि "वास्तविक राजनीति" उन लोगों द्वारा "मीडिया के साथ स्पष्ट रूप से" संचालित की जा रही है, जिनमें "राजनीतिक क्षेत्र में आने का साहस" नहीं है. 

 गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश दिया था. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के YouTube के लिंक जिन ट्वीट के जरिए शेयर किए गए हैं, उनको भी ब्लॉक कर दिया गया था. विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्‍यूमेंट्री को ऐसे दुष्‍प्रचार का हिस्‍सा बताया था जो औपनिवेशक मानसिकता को दर्शाता है. 

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