जेएनयू में हुए हमले को लेकर उठा विवाद गहराता जा रहा है. विपक्ष ने छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है जबकि बीजेपी ने आरोप लगाया है कि विपक्ष घटना पर राजनीतिक कर रहा है. जेएनयू छात्रों पर हुए इस हमले को लेकर सोनिया गांधी ने अब चार सदस्यों की जांच टीम बना दी है. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार विरोध की आवाज़ को कुचलने पर आमादा है.
हमले के बाद जेएनयू गेट पर पहुंचे कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज का आरोप है कि बीजेपी के स्थानीय नेता भीड़ का नेतृत्व कर कर रहे थे. बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. उदित राज ने कहा, 'मैं 9:00 बजे जेएनयू जेएनयू गेट पर पहुंच गया था. मैंने वहां देखा कि बीजेपी नेताओं के नेतृत्व में करीब डेढ़ सौ लोग नारे लगा रहे थे - "वामपंथी गुंडों को गोली मारो". जिस परिस्थिति में जेएनयू छात्रों पर हमला हुआ, उसे लेकर लेफ्ट नेताओं के भी सवाल हैं.
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'जेएनयू के छात्रों पर जो कातिलाना हमला हुआ है उसकी इंक्वायरी हाईएस्ट लेवल पर की जानी चाहिए, चाहे जुडिशल इंक्वायरी हो या फिर कोई और उच्च स्तरीय जांच.' हालांकि बीजेपी ने विपक्ष पर इस मसले पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
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केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, 'शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति का अखाड़ा न बनाया जाए, इससे छात्रों के जीवन और प्रगति पर पड़ता है.' लेकिन जेएनयू में जो कुछ हुआ है, उसने कई बड़े सवाल पैदा किए हैं. एक जाने-माने संस्थान में अगर गुंडे हमला करें तो कौन कहां सुरक्षित है?
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VIDEO : कैसे हुआ जेएनयू में हमला
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