कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के सवाल पर पहली बार किसी नेता ने सीधी बात की है। पार्टी के पूर्व सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा है कि अभी की परिस्थितियों में सोनिया गांधी को अध्यक्ष बने रहने की ज़रूरत है।
इसके पीछे की वजहों को गिनाते हुए वह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी अभी जिस दौर से गुज़र रही है, उसमें उसका सबसे बड़ा जनरल ही नेतृत्व करे तो ठीक है। कांग्रेस अगर सत्ता में होती और तब अगर नए नेतृत्व को उभारने की बात होती तो राहुल गांधी को ये ज़िम्मेदारी दी जा सकती थी। लेकिन अभी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए सोनिया गांधी के अनुभव, उनकी क्षमता और उनके चेहरे की ज़रूरत है।
दीक्षित का यह भी कहना है कि सोनिया गांधी में ही वो क्षमता है जो तमाम विपक्ष को एकजुट कर सकती है। उसी तरह जिस तरह उन्होने 1998 से 2004 तक विपक्ष को न सिर्फ एकजुट रखा बल्कि 2004 में यूपीए की सरकार भी बनवायी।
संदीप दीक्षित हालांकि राहुल की क्षमता पर सीधे तौर पर सवाल नहीं उठा रहे, लेकिन उनके कहने का आशय साफ है कि राहुल अभी कठिन वक्त में पार्टी को नेतृत्व देने के लिए परिपक्व नहीं हुए हैं। वह कहते हैं कि परिपक्वता समय के साथ आती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पार्टी के भीतर नए और पुराने नेताओं के बीच अंतर्कलह की आशंका है, दीक्षित कहते है कि पार्टी में कुछ दरबारी ऐसे हैं जो गुटबाज़ी करके अपनी जगह बनाना चाहते हैं। ज़ाहिर है उनका इशारा उन नेताओं की तरफ है जो या तो ख़ुद को सोनिया गांधी के नज़दीक दिखाने से नहीं थकते या फिर वो जो ख़ुद को राहुल से नज़दीकी की वजह से ज़्यादा ताक़तवर समझते हैं।
संदीप दीक्षित ने राहुल के छुट्टी पर जाने के वक्त पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि एक ऐसे समय में जब भूमि अधिग्रहण बिल पर पार्टी संघर्ष कर रही है तो राहुल को इसमें मौजूद रहना चाहिए था। इससे पार्टी की आवाज़ को और ताक़त मिलती क्योंकि राहुल देश में जाना पहचाना चेहरा हैं। भट्टा परसौल से ख़ुद राहुल ने किसानों के लिए आंदोलन की शुरुआत की थी। ऐसे में इस बात की अहमियत और बढ़ जाती है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि 19 अप्रैल की किसान मज़दूर महारैली में राहुल गांधी शिरकत करेंगे।
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