प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ चलाए गए देशव्यापी अभियान में आयकर विभाग ने अब तक 3,185 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता लगाया है, जबकि 86 करोड़ रुपये के नए नोट जब्त किए गए.
नए नोटों की बरामदगी जारी है लेकिन इस समय आम जनता के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि आखिर नोटबंदी के बाद इतनी बड़ी मात्रा में नए नोट कैसे बरामद हो रहे हैं. ईमानदारी लाइन में लगकर नोट पाने लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. वहीं. आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की शुरुआती जांच में कुछ ऐसे तरीके सामने आए हैं जिनसे पता चला है कि कैसे बैंक ने नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद किया.
बिना KYC वाले ग्राहकों का चयन
शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इस खेल में लिप्त बैंक अधिकारियों ने बिना केवायसी अपडेट वाले ग्राहकों के खातों का इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने में किया. ऐसा इसलिए ताकि उन खातों तक आसानी से जांच एजेंसियां न पहुंच सकें.
शादी का कोड डालकर बदला काला धन
नोटबंदी के दौरान बैंकों ने कालेधन को नए नोट में बदलने के लिए शादी के हथियार का जमकर उपयोग किया. शादी का कोड डालते ही 2.50 लाख रुपए बदल दिए गए. इसके लिए अलग-अलग आईडी का इस्तेमाल किया गया. यहां तक कि लोन के लिए जमा फार्म में लगाए गए आईडी का दुरुपयोग किया गया. कुछ बैंक अफसर-कर्मचारियों ने 25 से 30 प्रतिशत कमिशन के लालच में घर तक नए नोट पहुंचाने की व्यवस्था की थी.
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, जांच से जुड़े अफसरों ने पाया है कि बैंक के सॉफ्टवेयर के साथ भी छेड़छाड़ की गई. आरबीआई ने हर मद में निकासी का कोड जारी किया है. शादी का कोड डालते ही 2.50 लाख रुपए निकालने या बदलने की सुविधा दी गई थी. आयकर विभाग ऐसे लोगों की पहचान करने में जुटा है जिनके घर में शादी का आयोजन दिखाकर राशि की निकासी की गई.
नोटों की अदला-बदली में नए नोट का गेम
जांच के मुताबिक, बैंक अफसरों ने आधार कार्ड अथवा पैन कार्ड के बजाए ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी की फोटोकॉपी का उपयोग नोट बदलने में किया ताकि आयकर विभाग की नजरों से लेनदेन को बचाया जा सके. आरबीआई ने चार हजार रुपए तक बदलने की अनुमति दी थी. बैंकों के बाहर नोट बदलने के लिए लंबी कतार में लगने वालों को सिर्फ हजार अथवा 2000 की राशि दी गई, जबकि उनके नाम पर 4000 रुपए के नोट बदलने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया.
एटीम में रकम न डालकर बदले पुराने नोट
नोटबंदी के बाद देशभर में दो दिन के सारे एटीएम बंद कर दिए गए थे. नए नोट मे मुताबिक कॉन्फ़िगर करने के लिए एटीएम बंद किए गए. जांच में पता चला है कि आरबीआई से बैकों को जो रकम एटीएम में डालने के मिली, उसका इस्तेमाल बैंको ने कालेधन को सफेद करने के लिए किया. यानी जो पैसा एटीएम में डाला जाना चाहिए था वो पैसा कहीं और पहुंचा दिया.
डिमांड ड्राफ्ट बना ब्लैकमनी को सफेद करने का माध्यम
बैंक अधिकारियों ने डिमांड ड्राफ्ट को भी ब्लैकमनी को सफेद करने में किया. बैंक अधिकारियों ने पहले डिमांड ड्रॉफ्ट बनवाएं और बाद में उनको निरस्त कर दिया. मजेदार बात यह है कि पुराने नोटों से डीडी बनाया गया और बाद में डीडी निरस्त कर नए नोटों में रुपए वापस कर दिए. हाल ही में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में ऐसी ही एक धांधली का पर्दाफाश किया गया था जिसमें बार बार डीमांड ड्राफ्ट जारी और रद्द करते हुए एक प्रायवेट कंपनी के मालिक के पास नगदी पहुंचाई जा रही थी.
पहचान पत्रों का गलत इस्तेमाल
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि बैंक अधिकारियों ने बैंक में रखे खाताधारकों के पहचान पत्र का जमकर दुरुपयोग किया. उनके नाम पर खाते खोलकर उसके जरिए पैसे की हेराफेरी की गई. वहीं, जन-धन खातों का किया जमकर दुरुपयोगनोट बदलने के खेल में जन-धन खातों का जमकर गलत इस्तेमाल हुआ.
नए नोटों की बरामदगी जारी है लेकिन इस समय आम जनता के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि आखिर नोटबंदी के बाद इतनी बड़ी मात्रा में नए नोट कैसे बरामद हो रहे हैं. ईमानदारी लाइन में लगकर नोट पाने लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. वहीं. आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की शुरुआती जांच में कुछ ऐसे तरीके सामने आए हैं जिनसे पता चला है कि कैसे बैंक ने नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद किया.
बिना KYC वाले ग्राहकों का चयन
शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इस खेल में लिप्त बैंक अधिकारियों ने बिना केवायसी अपडेट वाले ग्राहकों के खातों का इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने में किया. ऐसा इसलिए ताकि उन खातों तक आसानी से जांच एजेंसियां न पहुंच सकें.
शादी का कोड डालकर बदला काला धन
नोटबंदी के दौरान बैंकों ने कालेधन को नए नोट में बदलने के लिए शादी के हथियार का जमकर उपयोग किया. शादी का कोड डालते ही 2.50 लाख रुपए बदल दिए गए. इसके लिए अलग-अलग आईडी का इस्तेमाल किया गया. यहां तक कि लोन के लिए जमा फार्म में लगाए गए आईडी का दुरुपयोग किया गया. कुछ बैंक अफसर-कर्मचारियों ने 25 से 30 प्रतिशत कमिशन के लालच में घर तक नए नोट पहुंचाने की व्यवस्था की थी.
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, जांच से जुड़े अफसरों ने पाया है कि बैंक के सॉफ्टवेयर के साथ भी छेड़छाड़ की गई. आरबीआई ने हर मद में निकासी का कोड जारी किया है. शादी का कोड डालते ही 2.50 लाख रुपए निकालने या बदलने की सुविधा दी गई थी. आयकर विभाग ऐसे लोगों की पहचान करने में जुटा है जिनके घर में शादी का आयोजन दिखाकर राशि की निकासी की गई.
नोटों की अदला-बदली में नए नोट का गेम
जांच के मुताबिक, बैंक अफसरों ने आधार कार्ड अथवा पैन कार्ड के बजाए ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी की फोटोकॉपी का उपयोग नोट बदलने में किया ताकि आयकर विभाग की नजरों से लेनदेन को बचाया जा सके. आरबीआई ने चार हजार रुपए तक बदलने की अनुमति दी थी. बैंकों के बाहर नोट बदलने के लिए लंबी कतार में लगने वालों को सिर्फ हजार अथवा 2000 की राशि दी गई, जबकि उनके नाम पर 4000 रुपए के नोट बदलने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया.
एटीम में रकम न डालकर बदले पुराने नोट
नोटबंदी के बाद देशभर में दो दिन के सारे एटीएम बंद कर दिए गए थे. नए नोट मे मुताबिक कॉन्फ़िगर करने के लिए एटीएम बंद किए गए. जांच में पता चला है कि आरबीआई से बैकों को जो रकम एटीएम में डालने के मिली, उसका इस्तेमाल बैंको ने कालेधन को सफेद करने के लिए किया. यानी जो पैसा एटीएम में डाला जाना चाहिए था वो पैसा कहीं और पहुंचा दिया.
डिमांड ड्राफ्ट बना ब्लैकमनी को सफेद करने का माध्यम
बैंक अधिकारियों ने डिमांड ड्राफ्ट को भी ब्लैकमनी को सफेद करने में किया. बैंक अधिकारियों ने पहले डिमांड ड्रॉफ्ट बनवाएं और बाद में उनको निरस्त कर दिया. मजेदार बात यह है कि पुराने नोटों से डीडी बनाया गया और बाद में डीडी निरस्त कर नए नोटों में रुपए वापस कर दिए. हाल ही में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में ऐसी ही एक धांधली का पर्दाफाश किया गया था जिसमें बार बार डीमांड ड्राफ्ट जारी और रद्द करते हुए एक प्रायवेट कंपनी के मालिक के पास नगदी पहुंचाई जा रही थी.
पहचान पत्रों का गलत इस्तेमाल
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि बैंक अधिकारियों ने बैंक में रखे खाताधारकों के पहचान पत्र का जमकर दुरुपयोग किया. उनके नाम पर खाते खोलकर उसके जरिए पैसे की हेराफेरी की गई. वहीं, जन-धन खातों का किया जमकर दुरुपयोगनोट बदलने के खेल में जन-धन खातों का जमकर गलत इस्तेमाल हुआ.
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