नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए वह सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह को राज्य में प्रवेश की अनुमति देने पर विचार करेगा। न्यायालय ने साथ ही कहा कि वह इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में स्थानान्तरित करना चाहता है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ को राज्य में इस मामले की सुनवाई जारी रखने पर कड़ी आपत्ति है।
पीठ ने कहा, हमें इस मामले की सुनवाई राज्य में होने को लेकर कड़ी आपत्ति है। सुनवाई महाराष्ट्र में होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि वह छोटी मौखिक दलीलें देना चाहते हैं और भाजपा नेता के मामलों को स्थानान्तरित करने तथा जमानत के मुद्दे पर लिखित दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए 4 सितंबर की तारीख तय की। जेठमलानी ने कहा था कि अदालत को शाह पर लगाई यह शर्त कि वह खुद को गुजरात से बाहर रखे, हटानी चाहिए।
जेठमलानी ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए शाह को सीबीआई के अधिकारियों की निगरानी में गुजरात में जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, उन्हें राजनीतिक गतिविधियों से दूर नहीं रखा जाए। इस बीच, न्यायालय ने सीबीआई से कहा कि वह सोहराबुद्दीन हत्या मामले में प्रमुख गवाह तुलसीराम प्रजापति की हत्या से संबंधित अपनी जांच पर कुछ दिन में अपना फैसला ले।
इससे पहले सीबीआई के वकील विवेक तांखा ने पीठ से कहा कि प्रजापति हत्या मामले में सीबीआई की जांच पूरी हो गई है और एजेंसी एक सप्ताह के भीतर या उसके बाद आरोप पत्र दाखिल करेगी।
सीबीआई ने प्रजापति मामले से जुड़ी अपनी जांच को लेकर पीठ के सामने ताजा स्थिति रिपोर्ट भी पेश की।
सीबीआई के वकील ने कहा कि सीबीआई को प्रजापति मामले में दूसरा आरोप पत्र दाखिल करने दीजिए और इसमें मजबूत स्थिति सामने आएगी।
इससे पहले, सोहराबुद्दीन मामले में न्यायमित्र (एमीकस क्यूरी) के तौर पर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि सीबीआई को इस संबंध में जांच करनी चाहिए कि क्या वसूली क्रियाकलापों में कथित रूप से शामिल गैंगस्टर को मारने में पुलिस और नेताओं के बीच कोई मिलीभगत थी।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ को राज्य में इस मामले की सुनवाई जारी रखने पर कड़ी आपत्ति है।
पीठ ने कहा, हमें इस मामले की सुनवाई राज्य में होने को लेकर कड़ी आपत्ति है। सुनवाई महाराष्ट्र में होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि वह छोटी मौखिक दलीलें देना चाहते हैं और भाजपा नेता के मामलों को स्थानान्तरित करने तथा जमानत के मुद्दे पर लिखित दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए 4 सितंबर की तारीख तय की। जेठमलानी ने कहा था कि अदालत को शाह पर लगाई यह शर्त कि वह खुद को गुजरात से बाहर रखे, हटानी चाहिए।
जेठमलानी ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए शाह को सीबीआई के अधिकारियों की निगरानी में गुजरात में जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, उन्हें राजनीतिक गतिविधियों से दूर नहीं रखा जाए। इस बीच, न्यायालय ने सीबीआई से कहा कि वह सोहराबुद्दीन हत्या मामले में प्रमुख गवाह तुलसीराम प्रजापति की हत्या से संबंधित अपनी जांच पर कुछ दिन में अपना फैसला ले।
इससे पहले सीबीआई के वकील विवेक तांखा ने पीठ से कहा कि प्रजापति हत्या मामले में सीबीआई की जांच पूरी हो गई है और एजेंसी एक सप्ताह के भीतर या उसके बाद आरोप पत्र दाखिल करेगी।
सीबीआई ने प्रजापति मामले से जुड़ी अपनी जांच को लेकर पीठ के सामने ताजा स्थिति रिपोर्ट भी पेश की।
सीबीआई के वकील ने कहा कि सीबीआई को प्रजापति मामले में दूसरा आरोप पत्र दाखिल करने दीजिए और इसमें मजबूत स्थिति सामने आएगी।
इससे पहले, सोहराबुद्दीन मामले में न्यायमित्र (एमीकस क्यूरी) के तौर पर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि सीबीआई को इस संबंध में जांच करनी चाहिए कि क्या वसूली क्रियाकलापों में कथित रूप से शामिल गैंगस्टर को मारने में पुलिस और नेताओं के बीच कोई मिलीभगत थी।
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