गुजरात के बहुचर्चित ‘जासूसीकांड’ में उस समय नया मोड़ आ गया, जब इस प्रकरण की केंद्रबिंदु बनी महिला ने अपने पिता के साथ आज सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और केंद्र तथा राज्य सरकार को अपने जांच आयोगों को आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया। महिला ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह शुक्रगुजार है कि गुजरात पुलिस उसकी निगरानी कर रही थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कोर्ट से कहा कि उनके द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं कराए जाने के बावजूद विभिन्न व्यक्ति अलग अलग कारणों से उनके अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।
कुमार ने पिता पुत्री की ओर से कहा, 'जब मेरी जान को खतरा था तो उस समय गुजरात सरकार द्वारा उठाए गए सुरक्षा उपायों से मैं संतुष्ट हूं और 2009 में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में जब मैं शिकायत नहीं कर रही हूं, लेकिन मेरी और मेरे परिवार की छवि को ठेस पहुंचाने के लिए कुत्सित अभियान चलाया जा रहा है।'
याचिका में उन्होंने गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा द्वारा वेब पोर्टल द्वारा सामने लाए गए अपुष्ट और अप्रमाणित अंशों के आधार पर जासूसी कांड का मसला उठाए जाने और इसकी सीबीआई जांच की मांग पर भी आपत्ति की है। इसमें निजता के मौलिक अधिकार और गरिमा के साथ जीने के अधिकार के संरक्षण का भी अनुरोध किया गया है। शीर्ष अदालत ने मीडिया से भी आग्रह किया कि इस मामले में महिला का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाए।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस एनवी रमण की खंडपीठ के समक्ष पिता पुत्री की संयुक्त याचिका का जिक्र किया गया। खंडपीठ ने कहा कि वह संबंधित पक्षों को सुने बगैर इस मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती है।
इस संबंध में कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी करके शुक्रवार तक उनसे जवाब मांगा है। इस मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई होगी।
एक समाचार पोर्टल द्वारा हाल ही में 2009 में महिला आर्कीटेक्ट की जासूसी कराने के बारे में नरेंद्र मोदी के सहयोगी अमित शाह और राज्य पुलिस के दो प्रमुख अधिकारियों के बीच टेलीफोन पर कथित बातचीत से संबंधित सीडी जारी किए जाने से यह विवाद सुर्खियों में आया था।
अगस्त और सितंबर, 2009 के दौरान कथित रूप से हुई इस बातचीत में स्पष्ट रूप से मोदी के नाम का जिक्र नहीं है, लेकिन इसमें ‘साहब’ का हवाला दिया गया है, जिसके बारे में पोर्टल का दावा है कि यह गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए है जिनके कहने पर ही जासूसी की गई थी, लेकिन शाह ने इस आरोप से इनकार किया है।
इस महिला और उसके पिता ने याचिका में समाचार पोर्टल कोबरा पोस्ट और गुलेल डॉटकॉम द्वारा जासूसी के संबंध में टेलीफोन बातचीत की सीडी जारी किए जाने के बाद उठे विवाद के बारे में खबरें प्रकाशित या प्रसारित करने से मीडिया को रोकने का भी अनुरोध किया है।
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