
स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)
- आरएसएस का विश्वास जीतने में भी असफल रही हैं
- ट्विटर पर जबरदस्त तरीके से ट्रेंड करने लगीं स्मृति ईरानी
- दो शक्तिशाली बलों को साधने में असफल रही हैं।
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नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट फेरबदल में जो सबसे चौंकाने वाली घटना रही वह यह कि स्मृति ईरानी को HRD मंत्रालय से हटाकर महत्वहीन समझे जाने वाले कपड़ा मंत्रालय में भेज दिया गया। स्मृति ईरानी के इस तरह से डिमोशन को लेकर कई बातें कही जा रही हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं किया गया कि वह 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रचार का चेहरा बनाई जाएं। ऐसे में उन्हें प्रचार के लिए ज्यादा वक्त चाहिए होगा और HRD मंत्रालय में रहते हुए ये संभव नहीं था।
वैसे हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी और जेएनयू विवाद जैसे वाकयों की वजह से स्मृति ईरानी का लगभग दो साल का कार्यकाल अक्सर विवादों में ही रहा है। इसके अलावा डिग्री विवाद के कारण भी स्मृति सवालों के घेरे में ही रही हैं। कैबिनेट में कम महत्व का मंत्रालय दिए जाने और यूपी चुनाव में चेहरा बनाए जाने के कयासों की वजह से स्मृति ईरानी मंगलवार शाम ट्विटर पर जबरदस्त तरीके से ट्रेंड करने लगीं।
कयास हैं कि स्मृति को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा सकता है। बता दें कि साल 2014 में हुए आम चुनाव में स्मृति ने अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें जबरदस्त टक्कर दी थी। कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी पूरे उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगी, ऐसे में वहां स्मृति ईरानी की भूमिका बढ़ने वाली है।
कहा तो यह भी जा रहा है पीएम मोदी की खास पसंद रही स्मृति ईरानी पार्टी के दो शक्तिशाली बलों को साधने में असफल रही हैं। बताया जाता है कि पिछले साल बेंगलुरु में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्मृति ईरानी ने कुछ ऐसा काम कर दिया था, जिससे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुश नहीं थे। इसके अलावा स्मृति आरएसएस का विश्वास जीतने में भी असफल रही हैं, जिसका असर कैबिनेट फेरबदल में देखने को मिला है।
हालांकि दूसरी तरफ स्मृति पर बार-बार आरएसएस के निर्देशों पर काम करने का आरोप भी लगा है। कहा जाता रहा है कि वह आरएसएस के निर्देश पर शिक्षा का भगवाकरण कर रही हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं किया गया कि वह 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रचार का चेहरा बनाई जाएं। ऐसे में उन्हें प्रचार के लिए ज्यादा वक्त चाहिए होगा और HRD मंत्रालय में रहते हुए ये संभव नहीं था।
वैसे हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी और जेएनयू विवाद जैसे वाकयों की वजह से स्मृति ईरानी का लगभग दो साल का कार्यकाल अक्सर विवादों में ही रहा है। इसके अलावा डिग्री विवाद के कारण भी स्मृति सवालों के घेरे में ही रही हैं। कैबिनेट में कम महत्व का मंत्रालय दिए जाने और यूपी चुनाव में चेहरा बनाए जाने के कयासों की वजह से स्मृति ईरानी मंगलवार शाम ट्विटर पर जबरदस्त तरीके से ट्रेंड करने लगीं।
कयास हैं कि स्मृति को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा सकता है। बता दें कि साल 2014 में हुए आम चुनाव में स्मृति ने अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें जबरदस्त टक्कर दी थी। कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी पूरे उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगी, ऐसे में वहां स्मृति ईरानी की भूमिका बढ़ने वाली है।
कहा तो यह भी जा रहा है पीएम मोदी की खास पसंद रही स्मृति ईरानी पार्टी के दो शक्तिशाली बलों को साधने में असफल रही हैं। बताया जाता है कि पिछले साल बेंगलुरु में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्मृति ईरानी ने कुछ ऐसा काम कर दिया था, जिससे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुश नहीं थे। इसके अलावा स्मृति आरएसएस का विश्वास जीतने में भी असफल रही हैं, जिसका असर कैबिनेट फेरबदल में देखने को मिला है।
हालांकि दूसरी तरफ स्मृति पर बार-बार आरएसएस के निर्देशों पर काम करने का आरोप भी लगा है। कहा जाता रहा है कि वह आरएसएस के निर्देश पर शिक्षा का भगवाकरण कर रही हैं।
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