सीताराम येचुरी(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को भारतीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर आरोप लगाया कि वह देश पर अपने 'प्रतिगामी विचारों' को थोपने का प्रयास कर रहा है. मार्क्सवादी नेता ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब भारतीय सैनिक मारे जाते हैं, तो वामपंथी जश्न मनाते हैं. येचुरी ने ट्वीट किया, "महात्मा गांधी के मारे जाने के बाद किसने जश्न मनाया था!" इसके बाद उन्होंने आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक एम.एस.गोलवलकर से तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा कही गई बात को उद्धृत किया, "गांधी जी की मौत पर आरएसएस के लोगों ने खुशियां मनाईं और मिठाइयां बाटीं."
येचुरी की यह टिप्पणी आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक संगोष्ठी का आयोजन रद्द करवाने तथा उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा पत्रकारों पर कथित तौर पर हमले करने के बाद आई है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते बुधवार को एबीवीपी और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी. इस घटना के एक दिन पहले ही एबीवीपी ने रामजस कॉलेज में आयोजित उस संगोष्ठी को जबरन रद्द करा दिया था, जिसमें जेएनयू के छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किया गया था.
माकपा नेता ने दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा गुरमेहर कौर का संदर्भ देते हुए कहा, "कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए मंत्री संविधान की सौगंध लेने के बाद काम करते हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में उन्होंने 20 साल की एक लड़की को धमकी दी और उसका अपमान किया है." येचुरी ने कहा, "संघ परिवार को अपने तर्क में विश्वास नहीं है, उसके द्वारा हिंसा की धमकी विचारों के खिलाफ केवल एक हथियार है." उन्होंने कहा, "वे (आरएसएस) अपने प्रतिगामी विचारों को आपके पहनावे, भोजन, देखने, करने और आपके जीवन जीने की शैली पर थोपना चाहते हैं."
येचुरी की यह टिप्पणी आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक संगोष्ठी का आयोजन रद्द करवाने तथा उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा पत्रकारों पर कथित तौर पर हमले करने के बाद आई है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते बुधवार को एबीवीपी और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी. इस घटना के एक दिन पहले ही एबीवीपी ने रामजस कॉलेज में आयोजित उस संगोष्ठी को जबरन रद्द करा दिया था, जिसमें जेएनयू के छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किया गया था.
माकपा नेता ने दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा गुरमेहर कौर का संदर्भ देते हुए कहा, "कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए मंत्री संविधान की सौगंध लेने के बाद काम करते हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में उन्होंने 20 साल की एक लड़की को धमकी दी और उसका अपमान किया है." येचुरी ने कहा, "संघ परिवार को अपने तर्क में विश्वास नहीं है, उसके द्वारा हिंसा की धमकी विचारों के खिलाफ केवल एक हथियार है." उन्होंने कहा, "वे (आरएसएस) अपने प्रतिगामी विचारों को आपके पहनावे, भोजन, देखने, करने और आपके जीवन जीने की शैली पर थोपना चाहते हैं."
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