विशेष जांच दल (SIT) ने 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Riots) से जुड़े मामलों के सिलसिले में कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने को लेकर अहमदाबाद (Ahmedabad) की एक अदालत में तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आर.बी. श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ बुधवार को आरोपपत्र दाखिल किया. शीर्ष अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी. इस फैसले के एक दिन बाद अहमदाबाद अपराध शाखा ने सीतलवाड़, श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी.
जांच अधिकारी एवं सहायक पुलिस आयुक्त बी.वी. सोलंकी ने कहा कि यहां मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एम.वी. चौहान की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया. उन्होंने बताया कि 6,300 पन्नों के आरोपपत्र में 90 गवाहों का उल्लेख है और पूर्व आईपीएस अधिकारी से वकील बने राहुल शर्मा और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल को भी इस मामले में गवाह बनाया गया है. सोलंकी ने कहा कि अन्य गवाहों के बयान गुजरात दंगों के पिछले मामलों और तीनों आरोपियों द्वारा विभिन्न अदालतों और आयोगों के समक्ष पेश हलफनामों से लिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि आरोपपत्र में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रासंगिक निर्णयों और विभिन्न अदालतों में जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिकाओं का भी हवाला दिया गया है. आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 194 (मौत की सजा दिलाने के लिए दोषसिद्धि के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) और 218 (लोक सेवक द्वारा लोगों को सजा से बचाने के इरादे से गलत जानकारी दर्ज करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) समेत अन्य प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं. जून के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट के दो सितंबर के आदेश के बाद अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था. वहीं, श्रीकुमार इस मामले में जेल में बंद हैं, जबकि तीसरे आरोपी भट्ट पालनपुर की जेल में हैं, जहां वह हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं.
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