विज्ञापन
This Article is From Jun 08, 2024

लोकसभा चुनाव : एक जैसे नाम और मिलते-जुलते सिंबल की वजह से गड़बड़ाए वोटर, पार्टियों को हुआ नुकसान

बिहार में कई लोकसभा सीटों पर एक जैसे नाम और रूप वाले कई प्रत्याशी दिखे. दूसरी तरफ महाराष्ट्र में भी हूबहू सिंबल की वजह से कई वोट कटे.

लोकसभा चुनाव : एक जैसे नाम और मिलते-जुलते सिंबल की वजह से गड़बड़ाए वोटर, पार्टियों को हुआ नुकसान
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 में हर एक वोट बहुत जरूरी साबित हुआ, क्योंकि इस बार कई चुनाव क्षेत्रों में जीत का अंतर कुछ हजार वोट का था. इस बार एक जैसे नाम और चुनावी चिन्ह की वजह से कई वोट कटे. बिहार को ही देख लीजिए काराकाट, बक्सर, बांका, मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण लोकसभा सीटों पर हूबहू एक जैसे ही नाम के कई प्रत्याशी चुनाव में उतरे. इससे हुआ ये कि जब मतदाता अपना वोट डालने बूथ पर गए तब अनजाने में डमी प्रत्याशी को वोट दे बैठे. महाराष्ट्र की कई सीटों पर भी समान नाम और एक जैसे चुनाव सिम्बल ने शरद पवार की एनसीपी को चोट पहुंचाई.

बिहार के चुनाव में हूबहू नामों की बाढ़
बिहार की बक्सर सीट पर कड़ा मुकाबला था. करीबी मुकाबले में राजद की जीत हुई, लेकिन क्षेत्र में चर्चित थी 'दो आनंद मिश्रा' की लड़ाई. पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे आनंद मिश्रा को 47409 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी के मिथिलेश तिवारी का गणित बिगाड़ा. इसी सीट पर एक और आनंद मिश्रा खड़े थे, जिनका बस नाम ही नहीं तो पूरा रूप भी पूर्व आईपीएस से मिलता-जुलता था. दूसरे आनंद मिश्रा को 2834 वोट मिले. बिहार की काराकाट सीट पर विजयी हुए सीपीआई(माले) के राजा राम सिंह के सामने एक और राजा राम सिंह चुनाव लड़ रहे थे. काराकाट की त्रिकोणीय लड़ाई में राजा राम सिंह ने सीपीआई(माले) के 21383 वोट काटे. 

Latest and Breaking News on NDTV

बांका में भी ऐसे ही हूबहू नामों का सिलसिला चला. बांका की सीट पर दो जय प्रकाश यादव चुनाव के मैदान में थे. हालांकि राजद के प्रत्याशी के नाम में मामूली अंतर था. राजद प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव इस सीट से एक लाख से ज्यादा वोटों से हारे. पूर्वी चंपारण सीट के लिए लगी ईवीएम मशीन पर राजेश नाम की भीड़ उमड़ी. इस सीट से चार राजेश नाम के प्रत्याशियों ने अपना नसीब आजमाया, लेकिन जीत किसी को नहीं मिली.

डमी प्रत्याशी ने पाए एक लाख वोट
महाराष्ट्र में भी मामला बड़ा उलझा हुआ था. पिछले कुछ सालों में नेता और पार्टियों के बनते बिगड़ते रिश्तों से आम मतदाता भी गड़बड़ा गया. इस चुनाव में नए सिम्बल के साथ शिवसेना (उद्घव बालासाहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) लोगों के बीच गए. लेकिन ईवीएम पर शरद पवार की एनसीपी के नए सिम्बल (तुतारी बजाता आदमी) की तरह हूबहू पिपानी का भी सिम्बल निर्दलीय प्रत्याशी को मिला हुआ था. 

Latest and Breaking News on NDTV

इससे हुआ ये कि दिंडोरी लोकसभा सीट पर शरद पवार की एनसीपी के प्रत्याशी भास्कर भगरे के हिस्से के 103632 वोट एक अनसुने प्रत्याशी बाबू भगरे को मिले. कमाल की बात तो ये कि एनसीपी के प्रत्याशी को क्षेत्र में सर कहकर जाना जाता है, बस इसी का फायदा विरोधियों ने डमी प्रत्याशी को सर की उपाधि देकर उठाया. हालांकि अंत में जीत शरद पवार की एनसीपी की ही हुई.

एक जैसे सिम्बल से गड़बड़ाए मतदाता
सतारा की सीट पर बीजेपी की तरफ से लड़ रहे शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोंसले ने एनसीपी (शरद पवार) के प्रत्याशी शशिकांत शिंदे को 32771 वोट के करीबी अंतर से हराया. इसी सीट से तुतारी सिम्बल पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे गाड़े संजय कोंडीबा को 37062 वोट मिले. यानी की इस सीट पर चुनावी सिम्बल की वजह से एनसीपी (शरद पवार) को एक सीट का नुकसान हुआ.

एनसीपी (शरद पवार) पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि पिपानी और तुतारी सिम्बल के बीच मतदाता गड़बड़ा गए और इस वजह से उनकी पार्टी को नुकसान हुआ. उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि आयोग को सूचना देने के बावजूद उन्होंने इसे नजरंदाज किया. 

यह भी पढ़े: मोदी किसे बनाएंगे मंत्री? किस पार्टी से किसकी चर्चा? कौन रेस में आगे? देखिए पूरी लिस्ट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com