सिखों के लिए जल्द ही अलग से विवाह कानून आने की संभावना है। गृह मंत्रालय इस संबंध में प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल में ले जाने की योजना बना रहा है।
नई दिल्ली:
सिखों के लिए जल्द ही अलग से विवाह कानून आने की संभावना है। गृह मंत्रालय इस संबंध में प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल में ले जाने की योजना बना रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पंजाब में विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र ने सिख समुदाय की लंबे समय से लंबित अलग से आनंद विवाह अधिनियम लागू करने की मांग को स्वीकार कर लिया है। वर्ष 1955 में सिख विवाह अधिनियम को समाप्त किए जाने के बाद अब तक सिख शादियां हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत होती आई हैं। स्वतंत्रता से पहले सिखों में शादियां गुरु ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में आनंद विवाह अधिनियम के तहत होती थीं और 1955 तक ऐसा होता रहा जब सिख विवाह अधिनियम को बदला गया और चार समुदायों-हिन्दू सिख बौद्ध तथा जैन धर्म को जोड़ते हुए इसे हिन्दू विवाह अधिनियम में शामिल कर लिया गया। सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इस संबंध में संसद में एक विध्ेायेक पेश किया जाएगा और इसके मंजूर होने पर सिख नए कानून के तहत शादियां कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या विधेयक संसद के वर्तमान सत्र में पेश किया जाएगा।