- कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें सिद्धारमैया मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार उप मुख्यमंत्री हैं
- सत्ता के बंटवारे पर समझौता ढाई साल के टर्म के आधार पर हुआ था. अब शिवकुमार मुख्यमंत्री बनने की मांग कर रहे हैं
- कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक मुद्दे पर बैठक की, जिसमें कोई निर्णायक समाधान नहीं निकल पाया
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है. सीएम हैं सिद्धारमैया. मगर जिस दिन से वो सीएम बने हैं, उसी दिन से उनकी अपने ही डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से ठनी हुई है. उस समय बताया गया कि दोनों नेताओं के बीच सत्ता का बंटवारा 2.5-2.5 साल की तर्ज पर हुआ है. माने ढाई साल बाद शिवकुमार सीएम बन जाएंगे. हालांकि, सिद्धारमैया हमेशा इनकार मोड में ही रहे. ये सब दावे इन दोनों नेताओं के ही समर्थक खुलेआम करते रहे. ढाई साल बीता तो फिर शिवकुमार ने सत्ता की मांग कर दी और सिद्धारमैया ने इनकार कर दिया. दोनों की ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी भी चली और लगा कि मामले का कोई हल ढूंढ लिया गया है.
2 घंटे मंथन किसने किया
मगर, आज खबर आई कांग्रेस आलाकमान कर्नाटक मुद्दे पर बैठक करने जा रहा है. शाम 5 बजे का समय तय हुआ. ठीक समय पर सोनिया गांधी के घर पर राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल पहुंच गए. 2 घंटे तक सारे समीकरणों पर बात हुई. बदलाव के फायदे और घाटे पर चर्चा हुई. आखिरकार कोई नतीजा नहीं निकला.
सूत्रों के मुताबिक, चौदह दिसंबर की रैली के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार अगले हफ्ते दिल्ली आएंगे. इस दौरान उनकी पार्टी नेतृत्व से मुलाकात हो सकती है. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि 14 दिसंबर की रैली को लेकर भी इस बैठक में बात हुई. कर्नाटक में पार्टी एकजुट है , आगे भी बैठक होगी.
क्यों कांग्रेस उलझन में
जाहिर है, कांग्रेस के लिए कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों जरूरी हैं. ठीक उसी तरह जैसे राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट थे. जैसे मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया थे. कांग्रेस उस समय कोई फैसला नहीं ले पाई. नतीजा दोनों राज्यों में चुनाव हार गई सिंधिया तो पार्टी ही छोड़ गए. कांग्रेस कर्नाटक में वो हालत नहीं चाहती, लेकिन दिक्कत ये है कि सीएम पोस्ट एक है और दोनों नेताओं में से कोई भी इससे कम पर समझौता नहीं करना चाहता.
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