कर्नाटक की कांग्रेस सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी कर रही है, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो सकता है. BJP ने चेतावनी दी है कि अगर बदलाव किया गया तो वो चुप नहीं बैठेगी. हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि छपी हुई किताबें वापस नहीं ली जाएंगी, बल्कि अलग से एक पुस्तिका सभी स्कूलों को भेजी जाएगी. इस पुस्तिका में दिशानिर्देश के साथ-साथ नए चैप्टर्स भी शामिल हो सकते हैं.
साल 2022 में बोम्मई सरकार ने कक्षा 1 से लेकर 10 तक के पाठ्यक्रम में कुल 8 बदलाव किए थे, जिनकी समीक्षा कांग्रेस की सिद्धरमैय्या सरकार कर रही है. बीजेपी बदलाव के पक्ष में नहीं है. भारतीय जनता पार्टी(BJP) को आशंका है कि वीर सावरकर और RSS के संस्थापक हेडगेवार से जुड़े चैप्टर्स हटाए जा सकते हैं.
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा, "उम्मीद है कि इस महीने के आखिर तक बदलाव कर लिए जाएंगे. मैं बच्चों के हित में यह कर रहा हूं, किस पार्टी ने क्या किया और क्या सोचा. यह सब मैं नहीं सोचता."
सरकार की ओर से स्कूलों को जारी होने वाली दिशानिर्देश पुस्तिका में बताया जाएगा कि पहले से प्रकाशित किताबों में किन चैप्टर को पढ़ाया जाए और किसे नहीं. इसके अलावा अगर नए चैप्टर्स जोड़े जाएंगे तो वो भी इसमें शामिल होंगे. तकनीकी समिति पाठयक्रम की समीक्षा कर रही है, समिति की सिफारिश इस महीने कैबिनेट के सामने रखी जाएगी. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे.
पाठ्यक्रम को लेकर पहले भी हुए हैं विवाद
स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर पहले भी कई बार विवाद हुआ है. जब बीजेपी की बोम्मई सरकार ने कक्षा 8 के कन्नड़ भाषा की किताब के एक चैप्टर में जोड़ा था कि वीर सावरकर अंडमान निकोबार की जेल से बुलबुल पक्षी के पंखों पर बैठकर देश का जाएजा लेने आया करते थे. आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को एक अध्याय के तौर पर शामिल करने पर भी विवाद हुआ था. इसके अलावा टीपू सुलतान और समाझ सुधारक पेरियार से जुड़े चैप्टर्स के साथ छेड़छाड़ की गई थी या हटाया गया था.
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