- प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष में प्रयोगों के बारे में शुभांशु शुक्ला से बात की.
- शुभांशु ने उन प्रयोगों के बारे में जानकारी दी जो वह स्पेस स्टेशन पर करेंगे.
- शुभांशु का पहला प्रयोग मांसपेशियों के नुकसान को रोकने से संबंधित है.
- दूसरा प्रयोग माइक्रो एल्गी से जुड़ा है जो पोषण के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से करीब 18 मिनट की बातचीत में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयोगों के बारे में भी पूछा. पीएम ने पूछा कि आप जो अंतरिक्ष में प्रयोग कर रहे हैं, क्या कोई ऐसा प्रयोग भी है जो आने वाले समय में कृषि या हेल्थकेयर को फायदा पहुंचाएगा?
शुभांशु शुक्ला ने जवाब में कहा कि मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने सात यूनिक एक्सपेरिमेंट डिजाइन किए जो मैं अपने साथ स्पेस स्टेशन पर लेकर आया हूं. पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं आज ही करने वाला हूं, वह स्टेम सेल से संबंधित है. अंतरिक्ष में चूंकि ग्रैविटी नहीं होती है, ऐसे में मसल (मांसपेशियों का) लॉस होता है.
शुभांशु ने बताया कि मेरा एक्सपेरिमेंट ये है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या डिले कर सकते हैं? शुभांशु ने बताया कि इसका फायदा पृथ्वी पर रहने वालों को भी मिल सकता है. जिन लोगों को उम्र बढ़ने की वजह से मसल लॉस होता है, उन पर ये सप्लीमेंट्स यूज किए जा सकते हैं.
शुभांशु ने बताया कि दूसरा एक्सपेरिमेंट माइक्रो एल्गी की ग्रोथ को लेकर है. ये बहुत छोटे होते हैं लेकिन बहुत न्यूट्रिशियस होते हैं. अगर हम इनकी ग्रोथ बढ़ाने का प्रोसेस ईजाद कर सकें और ज्यादा तादाद में इन्हें उगा सकें और न्यूट्रिशियन प्रोवाइड कर सकें तो ये पृथ्वी पर फूड सिक्योरिटी में बहुत काम आएगा.
शुभांशु ने ये भी बताया कि इस तरह के अहम प्रयोग पहले अंतरिक्ष में ही क्यों किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि स्पेस का फायदा ये है कि यहां पर इस तरह के प्रयोगों के ये सभी प्रोसेस बहुत जल्दी होते हैं. ऐसे में हमें महीनों या वर्षों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होती.
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