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कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी सोमवार को दो दिन की भारत यात्रा पर पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया. इस दौरान दोनों नेताओं में एक अलग तरह की गर्मजोशी देखने को मिली. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि अपने भाई, कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमद अल थानी का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे गया.भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं और मंगलवार को होने वाली मुलाकात की प्रतीक्षा कर रहा हूं. कतर के अमीर के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है. मार्च 2015 के बाद यह कतर के अमीर का दूसरा भारत दौरा है. भारत और कतर के संबंध कितने मजबूत हैं, इसे इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि कतर में करीब 15 हजार छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियां काम करती हैं और करीब साढ़े आठ लाख भारतीय वहां रहते हैं.
भारत और कतर के संबंध
भारत और कतर के बीच मैत्री, विश्वास और पारस्परिक सम्मान के गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं. हाल के सालों में दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच संबंध लगातार मजबूत हुए हैं. यहां नोट करने वाली बात यह है कि भारत और कतर के संबंध पीएम मोदी के कार्यकाल में और मजबूत हुए हैं.

दिल्ली हवाई अड्डे पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का स्वागत करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
कतर 2017 से 2021 तक सऊदी अरब की ओर से लगाई गई पाबंदियों से जूझ रहा था. लेकिन भारत सरकार ने उसके साथ आर्थिक संबंध बढ़ाए. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 13-15 फरवरी को संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) और कतर का दौरा किया था. यह यह बताने के लिए काफी था कि खाड़ी के देश भारत के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं. मोदी सरकार की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति में खाड़ी के देशों का महत्वपूर्ण स्थान है.
नई दिल्ली में 2023 में आयोजित जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण की घोषणा की थी. यह मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट और इकोनॉमिक कॉरिडोर आर्थिक विकास के लिए तीन भौगोलिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ता है.
कतर से नौसेना के पूर्व अधिकारियों की रिहाई
अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी जब भारतीय नेतृत्व से बात करेंगे तो व्यापार और ऊर्जा सहयोग उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होगा. कतर के अमीर का भारत दौरा फरवरी 2024 की उस घटना के बाद हो रहा है, जिसमें वहां के जेलों में बंद आठ भारतीयों की सजा को माफ कर रिहा कर दिया दगा था. ये भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे. इन पूर्व अधिकारियों को अगस्त 2022 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.कतर की अदालत ने इन लोगों को 2023 में फांसी की सजा सुनाई थी. इन लोगों को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के आदेश पर रिहा किया गया था. इसके बाद से पीएम मोदी ने कतर की यात्रा की थी.

राष्ट्रपति भवन प्रांगण में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया.
कतर के अमीर की यात्रा की तैयारियों के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसंबर-जनवरी में कतर की यात्रा की थी. नए साल में यह विदेश मंत्री जयशंकर की पहली विदेश यात्रा थी. मार्च 2015 के बाद कतर के अमीर दूसरी बार भारत आए हैं. इससे पहले उनके पिता अमीर शेख हमद बिल खलीफा अल थानी ने 1999, 2005 और 2012 में भारत की यात्रा पर आए थे.
कतर-भारत के व्यापारिक रिश्ते
भारत सबसे अधिक तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) कतर से लेता है. यह भारत के कुल आयात का करीब 40 फीसदी है.दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार करीब 20 अरब डॉलर का है. इसमें कतर को सबसे अधिक फायदा होता है. साल 2023-2024 में दोनों देशों के बीच 14.08 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. इसमें भारत ने कतर को 1.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था. वहीं भारत ने कतर से 12.38 अरब डॉलर का आयात किया था.
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कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी को गले लगाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
भारत कतर से एलएनजी के अलावा रसोई गैस, रसायन, फर्टिलाइजर और प्लास्टिक का आयात करता है. पिछले कुछ सालों में भारत से कतर का निर्यात भी बढ़ा है.भारत कतर को अनाज, सब्जियां, फल, मसाले, प्रासेस्ड फूड, लोहा, स्टील के सामान, निर्माण में उपयोग आने वाले उपकरण और अन्य मशीनें का निर्यात करता है. भारत में प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी कंपनी पेट्रोनेट ने पिछले साल फरवरी में कतर के साथ एक समझौता किया था. इसके तहत कतर 2028 से 2048 तक हर साल साढ़े सात मीलियन टन एलएनजी की आपूर्ति करेगा.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कतर
कतर के अमीर की भारत की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम चल रहा है. यह समझौता अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कतर की धमक को बताने के लिए काफी है. हालांकि भारत इस वार्ता में शामिल नहीं है, लेकिन उसने इस युद्ध विराम का स्वागत करते हुए क्षेत्र में शांति और स्थिरता की वकालत की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता की.
इसके अलावा कतर ने अफगान तालिबान और कुछ अंतरराष्ट्रीय ताकतों की बैठक कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई थी. हालांकि भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता तो नहीं दी है, लेकिन उसने तालिबान सरकार के साथ बातचीत शुरू कर दी है. अब तालिबान सरकार नई दिल्ली में अपना दूतावास खोलना चाहती है. उसने अपने राजदूत के रूप में नजीब शाहीन का नाम सुझाया है. वो कतर में तालिबान के प्रवक्ता सोहैल सलीम के बेटे हैं.
खाड़ी में अलग-थलग पड़ता पाकिस्तान
पाकिस्तान के खाड़ी के कई देशों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. लेकिन हाल के सालों में भारत ने खाड़ी देशों में अपना प्रभाव और पहुंच बढ़ाया है. इसके लिए भारत ने खाड़ी के देशों के साथ राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाया है. इन देशों में सऊदी अरब और यूएई जैसे देश शामिल है. इस वजह से पाकिस्तान को अब लगने लगा है कि खाड़ी में भारत का पड़ला भारी हो गया है. यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि पाकिस्तान में विदेश से आने वाले पैसे (रेमिटेंस) का करीब आधा हिस्सा खाड़ी के देशों से ही आता है. इसमें सबसे बड़ा योगदान सऊदी अरब और यूएई का है. यह उसकी जीडीपी का करीब 10 फीसदी है. खाड़ी के देशों में बढ़ती भारत की आर्थिक गतिविधियों की वजह से खाड़ी देशों और पाकिस्तान के रिश्तों पर असर पड़ा है. इसमें भारतीय कामगारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विश्व बैंक की जून 2024 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक खाड़ी के देशों में 80 लाख से भारतीय काम करते हैं. खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीय भारत आने वाले रेमिटेंस में करीब 30 फीसदी का योगदान देते हैं.
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