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रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप लगातार कोशिश में जुटे हुए हैं. वह जल्द ही पुतिन से मिलने वाले हैं. दोनों नेता सऊदी अरब में मिल सकते हैं. ट्रंप और पुतिन की मुलाकात से पहले का मंच तैयार करने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों की बातचीत शुरू हो चुकी है. अमेरिका का कहना है कि यह बातचीत उस दिशा में पहला कदम है कि क्या रूस शांति को लेकर गंभीर है. हालांकि यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध को 3 साल पूरे होने को हैं, लेकिन अब तक ये जंग थम नहीं पाई है. अब डोनाल्ड ट्रंप का पूरा फोकस इस लड़ाई को खत्म करवाने पर है. ट्रंप ने चुनाव से पहले ही कहा था कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो ये युद्ध खत्म करवा देंगे. अब कोशिशों का ये दौर शुरू हो चुका है. ट्रंप और पुतिन की मुलाकात जल्द हो सकती है. हालांकि मीटिंग और तारीख अब तक तय नहीं है. इस दौरान दोनों के बीच युद्ध खत्म करने के लिए शांति के प्रयासों पर चर्चा होने की उम्मीद है. रूस-यूक्रेन से बातचीत के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने एक टीम भी बनाई है. इसमें उन चार अहम लोगों को शामिल किया है, जो उनके बहुत ही भरोसेमंद माने जाते हैं. ये 'ट्रंप-4' ही दोनों देशों के बीच युद्ध खत्म करवाने और शांति बहाली में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं.
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ट्रंप की टीम-4 के बारे में जानिए
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ये ऐलान कर दिया था कि चार अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम रूस और यूक्रेन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. ये टीम दोनों देशों के बीच 2022 से चल रहे युद्ध को खत्म करने पर काम करेगी. इस बीच ये जानना जरूरी है कि ट्रंप की टीम-4 में आखिर-कौन-कौन शामिल है. तो बता दें कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो, सीआईए डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और राजदूत और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ इस टीम में शामिल हैं. इनके बारे में जानिए सबकुछ.
मिडिल ईस्ट में US के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ
विटकॉफ मिडिल-ईस्ट में अमेरिका के विशेष दूत हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवाने में उनका क्या रोल हो सकता है, इस बात का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि वही वो शख्स हैं, जिन्होंने ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले हमास और इज़रायल के बीच युद्ध विराम समझौते में अहम भूमिका निभाई थी. वह जनवरी में इज़रायल जाकर पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से भी मिले थे. 2021 से रूस की हिरासत में अमेरिकी नागरिक मार्क फ़ोगेल की रिहाई को लेकर स्टीव विटकॉफ पिछले दिनों रूस भी गए थे.
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(US के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ. Photo Credit: X)
US के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज
माइक वाल्ट्ज अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. वाल्ट्ज लंबे समय से ट्रंप के सहयोगी रहे हैं. वह अमेरिकी नेशनल गार्ड में भी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य के तौर पर 2019 से 2025 तक फ्लोरिडा का प्रतिनिधित्व किया. वाल्ट्ज पहले भी सभी पक्षों को बातचीत के लिए एक टेबल पर लाने और युद्ध खत्म करने की जरूरत पर जोर दे चुके हैं. उन्होंने हालही में एक इंटरव्यू में कहा था कि यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म करने को लेकर बातचीत का असर दुनियाभर के नेताओं पर देखा जा रहा है. अब रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत में भी वह अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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CIA डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ
दुनिया की नंबर-1 खुफिया एजेंसी की कमान अब जॉन रैटक्लिफ के पास है. वह CIA डायरेक्टर हैं. वह रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं. जॉन ट्रंप के भरोसेमंदों में से एक हैं. वह पहले भी ट्रंप के साथ काम कर चुके हैं. रैटक्लिफ़ ने पिछले ट्रंप प्रशासन में 2020 से 2021 तक नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर के तौर पर सेवाएं दी थीं. अब वह रूस-यूक्रेन के बीच शांति बहाली में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. उन्होंने सीनेट में कहा था कि प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी खुफिया मकसद के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ लेने में रूस और चीन जैसे देशों से पीछे रह गई है. उन्होंने कहा था कि हम वहां नहीं हैं, जहां हमको होना चाहिए था.
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Photo Credit: Reuters
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो
मार्को रुबियो अमेरिका के विदेश मंत्री हैं. वह ट्रंप-4 के भी अहम सदस्य हैं. रुबियो रिपब्लिकन सीनेटर के तौर पर 2011 से 2025 तक फ्लोरिडा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. गुरुवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वह ज़ेलेंस्की से मिले थे. ट्रंप ने बताया कि रुबियो की जेलेंस्की से बात हुई है. पुतिन की तरह जेलेंस्की भी शांति चाहते हैं. युद्ध से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का वक्त आ गया है. इस बैठक का रिजल्ट भी पॉजिटिव होगा.
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ट्रंप हमेशा से रूस-यूक्रेन युद्ध के आलोचक रहे हैं. उन्होंने तो यहां तक कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो ये युद्ध शुरू ही नहीं होता. उन्होंने इस युद्ध को छिड़ने को लेकर अमेरिका के तत्कालीन बाइडेन प्रशासन की विदेश नीति पर सवाल उठाए थे. अब ट्रंप खुद आगे बढ़कर इस युद्ध को खत्म करवाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने एक टीम भी बना दी है.
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