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This Article is From Sep 17, 2015

शीना बोरा केस : इंस्पेक्टर का बयान- वरिष्ठ अधिकारी ने केस नहीं दर्ज करने को कहा था

शीना बोरा केस : इंस्पेक्टर का बयान- वरिष्ठ अधिकारी ने केस नहीं दर्ज करने को कहा था
फाइल फोटो
नई दिल्ली: शीना बोरा हत्याकांड के केस से जुड़े महाराष्ट्र पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने खुलासा किया है कि उसे वरिष्ठ अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने से मना किया था, जब शीना बोरा की लाश रायगढ़ के जंगलों में तीन साल पहले मिली थी।

सूत्रों के हवाले से खबर है कि इंस्पेक्टर सुभाष मिरगे ने दावा किया है कि रायगढ़ के तत्कालीन एसपी आरडी शिंदे ने उन्हें केस दर्ज करने से मना किया था। वहीं आरडी शिंदे ने कहा कि वह जांच अधिकारी के सामने अपनी बात रखेंगे।

मिरगे का बयान उस जांच का हिस्सा है जिसमें यह देखा जा रहा है कि लावारिश लाश मिलने के बाद आखिर क्यों नहीं पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया। जब 2012 में शीना बोरा की लाश लावारिश हालत में रायगढ़ के जंगलों में मिली थी तब मिरगे संबंधित थाने में तैनात थे। मिरगे वर्तमान में पुणे के एक थाने में तैनात हैं।

उल्लेखनीय है कि शीना बोरा (24) की कथित रूप से हत्या उसकी ही मां इंद्राणी मुखर्जी, सौतेले पिता संजीव खन्ना और कार के ड्राइवर ने अप्रैल 2012 में मुंबई में की थी।

बता दें कि आरोप है कि शीना के शव को पूरी रात मीडिया टाइकून और इंद्राणी के पति पीटर मुखर्जी के घर पर कार में ही रातभर रखा गया था। अगली सुबह कार में ही लाश को लेकर ये तीनों आरोपी मंबई से 80 किलोमीटर दूर रायगढ़ के जंगलों में गए और कथित रूप से आग के हवाले कर दिया।

करीब एक महीने बाद अधजली हालत में लाश को कुछ गांववालों ने देखा और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने लाश को लावारिश घोषित कर दिया और दफना दिया।

इस हत्याकांड में लगी मुंबई पुलिस का अब दावा है कि बरामद लाश से मिले अवशेष का डीएनए टेस्ट कराया गया है जिससे यह साबित हो गया है कि वह शीना बोरा की लाश थी।

पुलिस महकमा इस बात की भी जांच कर रहा है कि आखिर क्यों नहीं तब इस मामले की जांच की गई और हत्या का खुलासा किया गया। इस मामले में जांच रिपोर्ट तैयार कर डीजीपी संजीव दयाल को सौंप दी गई है।

 

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