- थरूर ने ट्रंप-ममदानी मुलाकात को लोकतंत्र का आदर्श दिखाते हुए कहा कि भारत में भी ऐसे ही होना चाहिए
- पार्टी में साइडलाइन किए गए थरूर का दर्द समय-समय पर बयानों और गतिविधियों से सामने आता रहा है
- कांग्रेस सांसद शशि थरूर हाल ही में बीमार होने के बावजूद पीएम मोदी का संबोधन सुनने गए थे
बिहार में कांग्रेस पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर का लोकतंत्र और चुनाव को लेकर ताजा बयान चर्चा में है. अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके कट्टर विरोधी कहे जाने वाले न्यूयॉर्क के मेयर जोहरान ममदानी की पहली बार व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई. इस मुलाकात में दोनों के बीच काफी गर्मजोशी दिखी. इसे लेकर थरूर की पोस्ट ने फिर से सवाल उठा दिया है कि क्या कांग्रेस पार्टी से उनका मोहभंग हो चुका है?
ट्रंप-ममदानी मुलाकात पर थरूर ने क्या लिखा?
ट्रंप और ममदानी की मीटिंग को लेकर थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि लोकतंत्र इसी तरह काम करना चाहिए. चुनाव में अपने विचारों के लिए पूरे जुनून से लड़ें, पूरी शिद्दत से भाषणबाजी करें, लेकिन जब चुनाव खत्म हो जाएं और जनता अपना फैसला सुना दे तो उस देश की भलाई के लिए एक-दूसरे से सहयोग करना सीखें, जिसकी सेवा करने की शपथ आपने ली है. मैं चाहता हूं कि भारत में इस तरह की राजनीति और सहयोग ज्यादा से ज्यादा नजर आए... मैं इसमें अपने हिस्से की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा हूं.

पहले भी कई बार कर चुके पार्टी को असहज
थरूर के इस पोस्ट को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. इसे थरूर का अपनी पार्टी पर तंज की तरह देखा जा रहा है. थरूर कांग्रेस पार्टी में करीब 16 साल बिताने के बावजूद पिछले कुछ समय से अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. उनका यह दर्द समय-समय पर बयानों और गतिविधियों में सामने भी आता रहा है. वह कई बार पार्टी लाइन से अलग स्टैंड लेकर कांग्रेस को असहज कर चुके हैं. इन बयानों को लेकर उनके कांग्रेस के भीतर भविष्य को लेकर भी अटकलें लगती रही हैं.
पीएम मोदी की नीतियों की तारीफ की
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 18 नवंबर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ की थी. थरूर ने सोशल मीडिया पर बताया था कि सर्दी-खांसी से जूझने के बावजूद वह पीएम मोदी का संबोधन सुनने गए थे. उन्होंने पीएम मोदी का वह बयान भी दोहराया कि उन पर हमेशा चुनावी मोड में रहने का आरोप लगता है, लेकिन असल में वह लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए भावनात्मक मोड में रहते हैं. थरूर ने देश के विकास, औपनिवेशिक काल के बाद की मानसिकता से मुक्ति, आर्थिक मजबूती आदि को लेकर पीएम की सराहना की थी.

बिहार चुनाव को लेकर पार्टी पर कसा तंज
इससे पहले, 14 नवंबर को बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन की करारी हार को लेकर थरूर ने निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस और आरजेडी समेत सभी विपक्षी दलों को अपनी परफॉर्मेंस का गहन अध्ययन करना चाहिए. चुनाव में किसी एक पहलू को नहीं बल्कि समग्रता से देखना होगा क्योंकि इसके कई कारक होते हैं. उन्होंने कहा था कि बिहार में मुझे प्रचार के लिए नहीं बुलाया गया था, इसलिए जो लोग वहां गए थे, उन्हें बेहतर पता होगा कि वहां क्या हुआ था.
आडवाणी को भी दी जन्मदिन की बधाई
तिरुवनंतपुरम से 4 बार के सांसद थरूर ने इससे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता और भारत रत्न से सम्मानित लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी देते हुए उन्हें एक सच्चा राजनेता बताया था और कहा था कि आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है. इस पर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी थी कि यह थरूर का निजी बयान है, कांग्रेस का नहीं.
वंशवाद की राजनीति पर लेख से खलबली
शशि थरूर ने हाल ही में अपने एक लेख में वंशवाद की राजनीति का जिक्र कर कांग्रेस में हलचल मचा दी थी. उन्होंने लेख में लिखा था कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है. यहां तक लिखा था कि भारत में पॉलिटिक्स अब फैमिली बिजनेस बन गई है. अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद की जगह योग्यता को स्वीकार्यता प्रदान करे. जब तक राजनीति परिवारों के आसपास घूमती रहेगी, लोकतांत्रिक सरकार का असली अर्थ पूरा नहीं होगा.
थरूर की 'बागी' तेवरों की वजह क्या है?
थरूर को काफी अच्छा वक्ता और विदेश मामलों का जानकार माना जाता है. लेकिन यह किसी से छिपा नहीं है कि थरूर को कांग्रेस पार्टी में साइडलाइन किया जा चुका है. पार्टी में लंबा समय बिताने के बावजूद पिछले कुछ समय से उनके पास कोई अहम पद नहीं है. वह संसद में महत्वपूर्ण मामलों पर बोलने का मौका न देने का भी आरोप लगा चुके हैं. बीजेपी नेता खासकर पीएम मोदी खुद भी कई बार थरूर को लेकर कांग्रेस पार्टी को घेर चुके हैं. थरूर भी समय-समय पर बीजेपी को लेकर अपना झुकाव दिखाते रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनौती देने वाले थरूर की केरल में अपनी महत्वाकांक्षाएं भी रही हैं. देखना होगा कि आने वाले वक्त में थरूर के ये 'बागी' तेवर क्या रुख लेते हैं.
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