मलयालम फिल्म इंडस्ट्री (Malayalam film industry) मॉलीवुड में हुई मीटू की घटनाओं को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारतीय समाज में बड़े बदलाव की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारतीय पुरुषों के साथ जरूर कुछ गड़बड़ है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि अगर हम इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं तो ये गलत है. शुक्रवार को एनडीटीवी से बात करते हुए, थरूर ने मॉलीवुड में महिलाओं और पुरुषों पर बड़े पैमाने पर यौन उत्पीड़न के खुलासे के साथ-साथ पुलिस केस और इस्तीफों का स्वागत किया. लेकिन इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता की असली लड़ाई भारतीय समाज की नैतिक गिरावट को ठीक करने में है.
मुझे लगता है कि हमारे समाज से कई चीजें बाहर आ रही हैं. महिलाओं के खिलाफ हमले लंबे समय से होते रहे हैं. यह हमेशा से चली आ रही है लेकिन अब 2012 की निर्भया मामले के बाद लोग अधिक चिंतित हुए हैं. लेकिन 12 साल बाद भी कुछ भी नहीं बदला है. शशि थरूर ने कहा कि हर दिन जब मैं अखबार उठाता हूं तो कुछ न कुछ घटना सामने आती है... किसी महिला पर हमला किया गया होता है. हर उम्र की महिलाओं के साथ जुल्म हो रहे हैं.
"गर्व है कि केरल की महिलाएं खड़ी हुईं"
यौन उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि मैं इस तरह की घटनाओं से निराश हैं. लेकिन उन्हें गर्व है कि उनका गृह राज्य इस #MeToo कैंपने का नेतृत्व कर रहा है. थरूर ने कहा कि "मैं मजबूत महिलाओं के घर में पला-बढ़ा हूं. मेरी दो बहनें और एक मां थीं, जिनके विचार मजबूत थे... और उनके अपने कामकाज के स्वतंत्र तरीके थे. "थरूर ने कहा कि मुझे गर्व है कि भारत में पहली बार जिस जगह यह उजागर किया गया है वो केरल है. कम से कम केरल खड़ा हुआ है और कह रहा है कि 'यह सही नहीं है'. थरूर ने इसे लेकर सत्तारूढ़ सीपीआईएम पर हमला बोला कि सरकार ने इस बात को पांच साल तक दबाए बैठी रही. यह अक्षम्य है. रिपोर्ट को तुरंत जारी किया जाना चाहिए.
शिकायत दर्ज करवाने के लिए बनाया जाए स्वतंत्र मंच
थरूर ने महिलाओं के लिए भविष्य में शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक स्वतंत्र मंच की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वर्कप्लेस पर विशाखा समिति की सिफारिशें लागू होती हैं, और प्रत्येक कंपनी में यौन उत्पीड़न पर अपनी समिति होती है. लेकिन स्पष्ट रूप से, यदि उद्योग इसमें शामिल है, तो यह पर्याप्त नहीं है. इसलिए आपको बाहरी लोगों के साथ एक न्यायाधिकरण की आवश्यकता है..." थरूर ने कहा कि किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक यह है कि महिला को लगता है कि उसे नौकरी, या पैसे, या अवसर की आवश्यकता है और इसलिए यौन उत्पीड़न की कीमत चुकानी पड़ती है."
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