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This Article is From May 06, 2023

शरद पवार ने क्‍यों वापस लिया इस्‍तीफा? NDTV से खास बातचीत में किया खुलासा

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद एनसीपी की स्थापना की थी. उन्‍होंने मंगलवार को पार्टी के अध्यक्ष पद से यह कहते हुए इस्‍तीफा दे दिया था कि वह एक नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाना चाहते हैं.

शरद पवार ने कहा कि लोग बिना किसी कारण के अजित पवार को बदनाम कर रहे हैं.

मुंबई:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के प्रमुख के रूप में अपना इस्तीफा वापस लेने के एक दिन बाद शरद पवार (Sharad Pawar) ने बताया कि आखिर उन्होंने अपना इस्तीफा वापस क्यों लिया. शरद पवार ने NDTV के साथ खास बातचीत में एनसीपी नेताओं को लेकर कहा कि मुझे यकीन था कि मैं अपने इस्‍तीफे को लेकर उन्‍हें मना लूंगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि आखिर उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की जानकारी पार्टी के नेताओं को पहले क्यों नहीं दी थी.

NCP अध्यक्ष ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्होंने अपने एनसीपी सहयोगियों (महाविकास अघाड़ी) को अपनी योजना का खुलासा किया होता, तो वे उन्हें पद छोड़ने की अनुमति नहीं देते, जो आखिर में सच साबित हुआ. 83 साल के पवार ने एनडीटीवी को बताया कि मुझे एक वक्‍त पर यह (इस्तीफा) देना पड़ा. मैंने इस बात का ध्यान रखा कि इस फैसले का असर दूसरी पार्टियों पर न पड़े. मैंने एनसीपी अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया था, लेकिन तब भी अगले दिन पार्टी के लिए प्रचार करता."

पवार ने कहा, "इन सबके बावजूद, मैं अपने सहयोगियों को मना नहीं सका. मैंने वास्‍तव में जानबूझकर उनसे परामर्श न करने का निर्णय लिया था क्योंकि वे मुझे कभी अनुमति नहीं देते. मैंने सोचा कि मैं उन्हें मना लूंगा, लेकिन मैं नहीं कर सका." 

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद एनसीपी की स्थापना की थी. उन्‍होंने मंगलवार को पार्टी के अध्यक्ष पद से यह कहते हुए इस्‍तीफा दे दिया था कि वह एक नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाना चाहते हैं. इस्‍तीफे की घोषणा ने उनकी अपनी ही पार्टी को चौंका दिया था. 

इस निर्णय को स्वीकार करने और भविष्य के बारे में बात करने वाले इकलौते नेता अजित पवार थे, जिनके हालिया कदमों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह पार्टी को विभाजित कर भाजपा से हाथ मिला सकते हैं. 

शरद पवार ने पद छोड़ने का फैसला क्यों किया? इस पर शरद पवार ने कहा कि उन्होंने अपना करियर 1962 में काफी वक्‍त पहले शुरू किया था.  उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "मैं 56 साल लगातार विधायक या सांसद रहा हूं. मुझे लगा यह काफी है. सार्वजनिक जीवन में इतने साल बिताने के बाद पिछले साल भर से मैं सोच रहा था कि नया नेतृत्व लाना मेरा कर्तव्य है. इसलिए एनसीपी अध्यक्ष का पद छोड़ने का फैसला किया है."  

नहीं टूटेगी एनसीपी : पवार 
एनसीपी प्रमुख ने अजित पवार के भाजपा के साथ जुड़ने की अटकलों का खंडन किया. अपने भतीजे को लेकर शरद पवार ने कहा, "एनसीपी कभी नहीं टूटेगी. कोई भी पार्टी नहीं छोड़ेगा. बिना किसी कारण के लोग अजित पवार को बदनाम कर रहे हैं. उनका हमेशा परिणाम देने पर ध्यान केंद्रित होता है. वह परिणाम देने वाले व्यक्ति हैं और इसीलिए कभी-कभी कम बोलते हैं. इससे गलतफहमी पैदा होती है. हम एक साथ काम करते हैं और हम परिणाम दिखाएंगे." 

अजित पवार को था अंदाजा!
शरद पवार ने कहा कि उनके भतीजे ने पार्टी प्रमुख पद छोड़ने के उनके फैसले का समर्थन किया क्योंकि अजित पवार इकलौते एनसीपी नेता थे, जिन्हें इस बात का अंदाजा था कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अजित पवार उनसे या पार्टी से नाराज नहीं हैं.

2024 के  चुनाव को लेकर संकेत 
शरद पवार ने संकेत दिया कि वह 2024 में राष्ट्रीय चुनाव से पहले समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाने के लिए काम करेंगे. उन्‍होंने कहा, "मेरे (पद छोड़ने के) फैसले से कुछ गलत संकेत गया है. सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं यहां तक ​​कि गैर-भाजपा दलों के नेताओं ने भी मुझसे इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा. मुझे लगता है कि देश के व्यापक हित में समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने और लोगों को एक विकल्प प्रदान करने के लिए मेरी जिम्मेदारी है."

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