President Polls: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार (Sharad Pawar) को भारत के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष (Opposition) का संयुक्त उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलों के बीच उनकी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने कहा है कि ''शरद पवार इस पर केवल तभी निर्णय लेंगे जब विपक्षी दलों के पास जीत के लिए पर्याप्त संख्या होगी."
अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए एक विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर चर्चा के लिए 15 जून को दिल्ली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बैठक बुलाई है. इस बैठक की पूर्व संध्या पर एनसीपी की ओर से उक्त टिप्पणी आई है. ममता बनर्जी ने मंगलवार को दिल्ली में शरद पवार से मुलाकात की.
मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं, अगर पवार साहब भारत के राष्ट्रपति बनते हैं तो हर मराठी व्यक्ति का सीना गर्व से फूल जाएगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या हमारे पास आवश्यक संख्या हैं?"
इस बीच, शरद पवार ने दिल्ली में वामपंथी नेताओं सीपीएम के सीताराम येचुरी और सीपीआई के प्रमुख डी राजा से भी मुलाकात की. डी राजा ने बाद में कहा कि शरद पवार उम्मीदवार बनने के विचार से उत्साहित नहीं थे. उन्होंने कहा कि "हमारी समझ यह है कि वे इच्छुक नहीं हैं. उनका कहना है कि उनकी कई राजनीतिक प्रतिबद्धताएं हैं."
गौरतलब है कि डी राजा ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी की 15 जून की बैठक में वाम दल भी शामिल होंगे. वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में प्रतिद्वंदी हैं. हालांकि डी राजा ने कहा कि, "हम विपक्षी दलों की एकता के इच्छुक हैं, इसलिए हम जाएंगे."
मुंबई में महाराष्ट्र की एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि शरद पवार का नाम आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुझाया है, “इससे हमें खुशी है.” उन्होंने कहा कि "लेकिन वह (शरद पवार) अपने जीवन में कोई चुनाव नहीं हारे हैं, इसलिए यदि आवश्यक संख्या है तो वे हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद निर्णय लेंगे."
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. इस पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा और यदि आवश्यक हुआ तो तीन दिन बाद मतगणना की जाएगी.
बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास उसके प्रत्याशी की जीत पक्की करने के लिए आवश्यक संख्याबल नहीं है.
विपक्ष की 15 जून की बैठक में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी उपस्थिति रहेगी. उसने वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला के नाम इस बैठक में शामिल होने के लिए तय किए हैं. इससे ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच चलते रहे शीत युद्ध के खत्म होने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) पर आधारित होता है जिसमें विधायकों और सांसदों के वोट शामिल होते हैं. प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य राज्य की जनसंख्या और विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है. इस प्रकार निर्वाचक मंडल की कुल संख्या 10,86,431 है और 50 प्रतिशत से अधिक मतों वाला उम्मीदवार जीत जाता है.
बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास 13,000 वोट कम हैं. साल 2017 में भी एनडीए के पास आवश्यक संख्या नहीं थी, लेकिन उसे तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल का समर्थन मिला. रामनाथ कोविंद के खिलाफ कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार थीं.
इस बार टीआरएस के तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बीजेपी के खिलाफ विपक्षी ताकतों को इकट्ठा करने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
शरद पवार की उम्मीदवारी को लेकर उन्हें विपक्षी दलों के बीच एकता के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. वह महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रधार थे. वे सत्ता के लिए बीजेपी की 'बोली'' को विफल करने के लिए वैचारिक रूप से विरोधी दलों को एक साथ लाए.
एनसीपी नेता छगन भुजबल ने जोर देकर कहा कि शरद पवार राष्ट्रपति या राज्यपाल बनकर "एक जगह बैठना" पसंद नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि "उन्हें प्रोटोकॉल ज्यादा पसंद नहीं है. उन्हें गांवों में लोगों से मिलना, उनके खेतों में किसानों के साथ बैठना पसंद है."
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